उपनिवेशवादी मानसिकता आज़ादी के पूर्व बंगाली अभिजनों में थी। सूक्ष्मता से देखें तो उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी में भारत दोहरी औपनिवेशिकता झेल रहा था।
मानव जाति के विकास या सिर्फ अस्तित्व में भी बने रहने का केवल एक ही विकल्प है वो है प्रगतिशील बने रहना।
'पाकिस्तान में प्रतिबन्धित पत्रकार, देह में दो गोलियाँ है।
एक महान आत्मा और अज़ीम फ़नकार उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान की पुण्यस्मृति
'दत्त ब्राह्मण और कश्यप गोत्र से सम्बद्ध कुछ ब्राह्मण भी हुसैन की मदद को गए
'हुसैन ने बच्चे को तपती रेत पर रख दिया और कहा कि अगर तुम्हें यह लगता है कि इस बच्चे के बहाने मैं पानी पी लूँगा तो मैं इसे छोड़कर पीछे हट जाता हूँ। तुममे से कोई भी आकर इसे पानी पिला दो। बच्चा गर्म ज़मीन पर एडियाँ रगड़ने लगा।
'तकनीक और भावनाओं की रस्साकशी के बीच फंसे हमलोगः
तालिबान का अर्थ है ज्ञानार्थी। लेकिन इन लोगों के लिए ज्ञान का अर्थ केवल इस्लामी ज्ञान है।
'भारतीय मुसलमानों को तालिबान के मामले में कोई भी राय बनाने से पहले अपनी स्थिति को समझना होगा
धर्म बनाम आधुनिकता का है दुनिया का असली वैचारिक संघर्ष
नोम चोमस्की के अनुसार जो मीडिया को कंट्रोल करता है वो अवाम के माइंड को कंट्रोल करता है