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प्लेग ने न्यूटन दिया कोरोना ने क्या?  जानिये आईज़ैक की कथा

'सेब न्यूटन के सिर पर ही गिरा कि नहीं यह तो इतिहास स्पष्ट नहीं करता।

आखिर पाकिस्‍तान को लेकर चीन का क्‍यों उमड़ता है इतना प्‍यार

उइगर मुसलमानों के साथ चीन की प्रताड़ना जग-जाहिर है। लेकिन क्‍या कभी पाकिस्‍तान में इसके खिलाफ विरोध के स्‍वर उठे।

'आप इंसाफ़ नहीं देंगे तो एक दिन पीड़ित आपसे छीन लेंगे न्याय'

भारत में प्रतिभा का अकाल पड़ने की एक बड़ी वजह यह है कि हमने देश की कम से कम 80 फीसदी आबादी के अन्दर पैदा होने वाली प्रतिभाओं को पनपने लायक सिस्टम नहीं तैयार किया है।

दख़ल: लीबिया के तानाशाह 'कर्नल गद्दाफ़ी' के काल की कुछ अलग कहानी

एक खूँखार शासक, तानाशाह, अय्याश और आतंकवादी- गद्दाफी का नाम सुनते सामान्‍य मस्तिष्क में सबसे पहले यही शब्द तो गूंजते हैं।

'उर्दू और हिंदी में फ़र्क़ सिर्फ़ है इतना, हम देखते हैं ख्‍़वाब वो देखते हैं सपना'

'उर्दू और हिंदी दोनों ठेठ भारतीय भाषा है। दोनों का उदय भी लगभग एक साथ ही हुआ। बाद में दोनों की राह अलग-अलग हो गई।

महज़  37 साल की उम्र में कत्‍ल कर दी गईं फूलन देवी की याद के अलग-अलग रंग

'कभी चंबल की बीहड़ों में दहशत रहीं फूलन देवी ने अस्‍सी के दशक में आत्‍मसमर्पण किया। जेल की सजा भी भुगती। बाद में सामाजिक सेवाओं में समय दिया। समाजवादी पार्टी कीसांसद भी बनीं।

बदचलनी का आरोप लगाकर पति ने घर से निकाला, गाय के तबेले में बच्ची को दिया जन्म…फिर क्या हुआ जानिये

'यह कहानी चिंदी नाम की उस लड़की की है, जिसका जनम 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा में हुआ था।

एक लेखक का सुझाव: खोखले जातीय अहंकार से बचिए, सभ्य बनिए

जातीय अहंकार एक तरह की मानसिक बीमारी है। खासकर तब जब आपका जातीय इतिहास वर्चस्व और शोषण का रहा हो।

ऑटो को ही आखिर इस बुजुर्ग ने क्‍यों बना लिया अपना आशियाना, कौन-सी है ज़िद

जिंदगी एक नई जंग है। संघर्ष की दास्‍तां है यह।

जाति आधारित जनगणना का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्‍यों करता है विरोध

संघ के प्रभाव वाली नरेंद्र मोदी की सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराने से इनकार कर दिया

चली गई अचानक ज्‍योति तो अपनी हिम्‍मत से जानिये इस महिला ने कैसे रोशन की जिंदगी

हैदराबाद की मीनल सिंघवी की कहानी उनकी ही जुबानी

हिंदी के एक भारतीय लेखक जब पहुंचे पाकिस्‍तान, तो क्‍या हुआ पढ़िये दमदार संस्‍मरण

हिंदी के वरिष्‍ठ लेखक असगर वजाहत 2011 में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के जन्म शताब्दी समारोह में शिरकत करने पाकिस्तान गए थे। वहां लगभग 45 दिन घूमते रहे।

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