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Monsoon : क्या समय से पहले आ जाएगा मानसून! क्यों कभी जल्दी तो कभी देरी से होती है बारिश...

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डेस्क: 

जब भी इंसान गर्मी में पसीने से तर बतर हो जाता है तो बस एक ही दुआ मांगता है की मानसून आ जाए लेकिन ये मानसून किसी की दुआओं से नहीं आता। मानसून के आने और जाने का अपना वक्त होता है। आपको बता दें के मानसून हर वर्ष सबसे पहले जून में केरल में आता है। वहां जून के पहले हफ्ते से ही मानसून का असर दिखने लगता है। इसके बाद देश के अलग-अलग राज्यों में मानसून की दसतक होती है। इस साल मानसून अपने समय से 10 दिन पहले यानी 21 मई के आस-पास ही दस्तक देगा। इस बात का दावा किया है यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट ने।

संस्थानों ने की भविष्यवाणी
इस साल तीन अलग-अलग संस्थाओं ने मानसून से जुड़े कुछ दावे किये है उनमें से सबसे पहला दावा स्काईमेट वेदर सर्विसेज ने किया है। उनके अनुसार इस साल मानसून अपने अपेक्षित समय के आस-पास ही आएगा। उनके अनुसार हो सकता है की एंटी-साइक्लोन के कारण मानसून के आने में देरी भी हो सकती है।

वहीं दूसरी तरफ भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक आनंद कुमार का कहना है की सैटेलाइट इमेजेस के अनुसार इस साल मानसून समय पर आने की पूरी संभावना है। वहीं तीसरी संस्था यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट के मुताबिक मानसून समय से 10 दिन पहले आ सकता है। संस्थान का कहना है की इस बार बंगाल की खाड़ी में मौसम संबंधी बदलाव के संकेत मिले है जिनसे ये कहा जा सकता है की अरब सागर में एंटीसाइक्लोन बन रहा है जिसकी वजह मानसून केरल जल्दी पहुंचेगा।

मानसून के आने की प्रक्रिया क्या होती है
इस साल की मानसून की जानकारी तो आपने ले ली, लेकिन आखिर कहां से आता है मानसून और क्या कारण होते है की मानसून कभी जल्दी तो कभी देर से आता है। इसे समझने के लिए आपको पहले समझना होगा कि मानसून आखिर आती कहां से है। आपको बता दें कि मानसून अरब सागर से हो के सबसे पहले केरल में आता है।

यही वजह है की सबसे पहले मानसून सबसे पहले केरल में बारिश करवाता है और फिर इसके बाद देश के बाकी हिस्सों की तरफ जाता है। वहीं दूसरी तरफ मानसून की दूसरी धारा बंगाल की तरफ से आती है। ये मानसूनी हवाएं देश के पूर्वी हिस्से नॉर्थ-ईस्ट से हो कर देश में आती है। 

मानसून आने का समय हवाएं तय करती हैं
मौसम वैज्ञानिक वी.के.सिंह का कहना है कि मानसून के आने का समय अफ्रीकी महाद्वीप और मेडागास्कर के तरफ से आने वाली हवाओं पर डिपेंड करता है। दरअसल, मेडागास्कर के तरफ से ज्यादा दबाव के साथ चलने वाली हवाएं जब कम दबाव वाले भारत में प्रवेश करती है तो अपने साथ बाहर से बादल ले कर आ जाती है। जिसकी वजह से मानसून आता है। तो अगर कहा जाए तो मानसून के आने का समय ये हवाएं ही तय करती है।