logo

International : भारतीय कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत!, WHO ने किया अलर्ट

syrup.jpg

डेस्कः
पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हो गई है। जिसका जिम्मेदार एक भारतीय कंपनी को ठहराया जा रहा है। यह कंपनी भारत के हरियाणा में है। बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते पांच साल से भी कम उम्र के बच्चों में किडनी में गहरे जख्म होने के कारण मौत हो गई। जांच में पता चला कि इसका जिम्मेदार भारत में बनने वाला कफ सिरप है। बच्चों की मौत के मामले सबसे पहले जुलाई में सामने आए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के चार कफ और कोल्ड सिरप पर अलर्ट घोषित कर दिया है। भारत की मेडिन फार्मासुटिकल्स लिमिटेड कंपनी की सिरप को जानलेवा बताया है। कहा है कि इससे किडनी में भारी जख्म हो जाते हैं। WHO ने कहा कि भारत के हरियाणा में बनी सिरप घातक केमिकलों से दूषित है। इन दवाओं की शिकायत सितंबर में की गई थी जिनके नाम प्रोमेथजाइन ओरल सल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकआफ बेबी कफ सिरप और मैगरिप एंड कोल्ड सिरप हैं। कहा जा रहा है कि इन दवाइयों में सीमा से अधिक डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल हैं। यह दोनों ही केमिकल शरीर के लिए घातक है। डब्ल्यूएचओ ने फिलहाल उन सिरप का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है। 


अन्य देशों को भी किया अलर्ट
WHO ने अपने ट्विट भी यह भी लिखा है कि फिलहाल इस दूषित दवा के बारे में गांबिया से पुष्टि हुई है, मगर इनके अन्य देशों के बाजारों में बिकने की भी पूरी आशंका है। ऐसे में सभी देशों को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए इन दवाओं की पहचान करना और उन्हें समय रहते इस्तेमाल से हटाना जरूरी है। मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट में WHO ने कहा है कि चारों कफ सीरप के सैंपल के लैबोरेटरी टेस्ट में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई है, जो बच्चों के लिए बेहद हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती है। 


क्या है भारत की प्रतिक्रिया 
वहीं भारत की ओर से कहा जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ ने अभी इन मौतों का पूरा विवरण नहीं दिया है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ लेबल और उत्पादों का ब्योरा साझा नहीं किया है, जिससे उत्पादों के निर्माण की पहचान और स्त्रोत की पुष्टि की जा सके। उपलब्ध सूचना के आधार पर सीडीएससीओ ने हरियाणा में नियामक अधिकारियों के साथ मामले की तत्काल जांच शुरू कर दी है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि डब्ल्यूएचओ से अनुरोध किया गया है कि वह जल्द से जल्द सीडीएससीओ के साथ संबंधित चिकित्सा उत्पादों के साथ रिपोर्ट, लेबल, उत्पादों की तस्वीरें साझा करें। हालांकि हरियाणा की इस फार्मा कंपनी ने फिलहाल कोई बयान नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रास घेबरेसस ने कहा कि खराब उत्पाद के कारण खराब सेहत की शिकायत अब तक केवल गाम्बिया में ही मिली है।  


सिंतबर में शिकायत की गई थी 
जानकारी के मुताबिक WHO ने  29 सितंबर को भारत के औषधि महानियंत्रक को सूचित किया था कि वह गाम्बिया को तकनीकी सहायता व सलाह दे रहा है। सीडीएससीओ ने कहा कि उसने राज्य नियामक प्राधिकरण के साथ मामले को उठाकर, सूचना मिलने के एक-डेढ़ घंटे के भीतर डब्ल्यूएचओ को जवाब दिया। इसके अलावा, हरियाणा राज्य औषधि नियंत्रक के सहयोग से मामले में तथ्यों और विवरणों का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच शुरू की गई। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि मेडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड, सोनीपत, हरियाणा, संदर्भ के तहत उत्पादों के लिए राज्य दवा नियंत्रक द्वारा लाइसेंस प्राप्त निर्माता है। सूत्र ने कहा कि कंपनी ने अब तक केवल गाम्बिया को इन उत्पादों का निर्माण और निर्यात किया है।