द फॉलोअप डेस्क
ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) के मुताबिक, शुक्रवार और शनिवार को पश्चिमी तट पर हुए हमलों में 745 से अधिक नागरिकों की मौत हो गई। इन हमलों में अलावी समुदाय को खासतौर पर निशाना बनाया गया। सीरियाई अंतरिम राष्ट्रपति ने देश में जारी हिंसा को ‘अपेक्षित चुनौतियों’ का हिस्सा बताया और नागरिक शांति बनाए रखने पर ज़ोर दिया। SOHR के अनुसार, बीते चार दिनों में मारे गए लड़ाकों को मिलाकर कुल मृतकों की संख्या 1,000 पार कर चुकी है। इसमें इस्लामिस्ट नेतृत्व वाली नई सरकार से जुड़े 125 लड़ाके और असद समर्थक 148 लड़ाके शामिल हैं। वहीं, सीरियाई सरकार के सूत्रों का कहना है कि कम से कम 200 लड़ाकों की मौत हुई है।
रविवार को दमिश्क की एक मस्जिद से दिए गए बयान में अंतरिम राष्ट्रपति ने तटीय प्रांतों लताकिया और टार्टस में उनके समर्थकों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के आरोपों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी।
लताकिया और टार्टस में संघर्ष, लोग पलायन को मजबूर
सीरियाई सरकारी मीडिया के अनुसार, सरकारी बलों और असद समर्थकों के बीच बनियास के गैस पावर प्लांट में भी संघर्ष हुआ। गुरुवार को सरकारी बलों पर हुए घातक हमले के बाद से हिंसा भड़क उठी। सीरियाई रक्षा मंत्रालय ने इसे सुरक्षा कर्मियों पर विश्वासघाती हमला बताया, जिसके बाद झड़पें तेज हो गईं। इस हिंसा के चलते सैकड़ों नागरिक अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए। बड़ी संख्या में लोग रूसी सैन्य अड्डे हमीमिम में शरण ले रहे हैं, जबकि दर्जनों परिवार लेबनान की ओर पलायन कर गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गीर पेडरसन ने तटीय क्षेत्रों में नागरिकों के मारे जाने की रिपोर्ट पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने सभी पक्षों से ऐसे कदमों से बचने की अपील की जो देश को अस्थिर कर सकते हैं और ‘विश्वसनीय तथा समावेशी राजनीतिक बदलाव’ को खतरे में डाल सकते हैं। लेबनान में ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी ने लताकिया और टार्टस में अलावी समुदाय के नरसंहार को ‘व्यवस्थित और खतरनाक’ करार दिया। उन्होंने अस्थायी सरकार पर संकट को संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया। ईरान की सरकार बशर अल-असद के शासन की सहयोगी रही है। विद्रोही गुटों ने पिछले साल दिसंबर में असद को सत्ता से हटा दिया, जिससे सीरिया में दो दशकों से अधिक समय तक चले शासन का अंत हो गया। अब देश संकट और अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, जहां जातीय और राजनीतिक संघर्ष ने हालात को और गंभीर बना दिया है।