रांची
पैनम कोल माइंस में कथित अवैध खनन की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल शोकॉज के जवाब पर असंतोष जताया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि अवैध खनन के मामले में वसूली से जुड़ी अब तक की सभी कानूनी कार्रवाइयों को रिकॉर्ड पर लाया जाए। मामले की अगली सुनवाई 11 जून को तय की गई है। इससे पहले सरकार ने कोर्ट को बताया था कि लीज से अधिक खनन की वसूली के लिए कार्रवाई शुरू की गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उस प्रक्रिया के तहत अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
गौरतलब है कि दुमका और पाकुड़ जिलों में पैनम माइंस को कोयला खनन का लीज दिया गया था। आरोप है कि कंपनी ने निर्धारित सीमा से ज्यादा खनन कर राज्य को 100 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व नुकसान पहुंचाया। सरकार की ओर से कराई गई जांच में भी अवैध खनन और वित्तीय नुकसान की पुष्टि हुई थी, लेकिन रिपोर्ट आने के बावजूद अब तक किसी ठोस कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रभावित इलाके के लोगों को आज तक न तो पुनर्वास मिला है और न ही कोई बुनियादी सुविधाएं। याचिका अधिवक्ता राम सुभग सिंह की ओर से दाखिल की गई है।