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विस्तार की दृष्टि से इस बार का JMM महाधिवेशन होगा खास, बिहार और बंगल के चुनाव को लेकर बनेगी विशेष रणनीति 

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रांची 
झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने संगठन को मजबूत करने और विस्तार देने के प्रयासों में जुटा हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार इसकी तैयारियों में व्यस्त हैं। झामुमो का सदस्यता अभियान अब अपने अंतिम चरण में है। अभियान की समाप्ति के बाद संगठन पूरी तरह पंचायत, प्रखंड और जिला कमेटियों के गठन की प्रक्रिया में लग जाएगा। इस कार्य में लगभग 30 से 35 दिन लग सकते हैं। इसके बाद, अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पार्टी के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के आयोजन की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के अनुसार, इस बार रांची में आयोजित महाधिवेशन न केवल भव्य होगा, बल्कि कई मायनों में खास भी रहेगा। भाजपा को चुनावी मैदान में चुनौती देने के बाद पार्टी की संगठनात्मक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है, जो महाधिवेशन में स्पष्ट रूप से दिखेगा।

महाधिवेशन में आगामी बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए विशेष रणनीति बनाई जाएगी। पार्टी इन चुनावों में दिलचस्पी रखती है और प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं पर मंथन करेगी। महाधिवेशन के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, केंद्र सरकार की नीतियों की समीक्षा और विभिन्न राजनीतिक प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा, झामुमो अगले तीन वर्षों के लिए अपनी कार्ययोजना को भी पेश करेगा।

तीन दिवसीय महाधिवेशन, कई राज्यों के प्रतिनिधि होंगे शामिल
पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय के अनुसार, इस बार महाधिवेशन तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें अंडमान-निकोबार सहित सात से आठ राज्यों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। पिछली बार, 2021 में कोरोना महामारी के कारण महाधिवेशन केवल एक दिन के लिए आयोजित किया गया था, लेकिन इस बार इसे अधिक व्यापक और प्रभावशाली बनाया जाएगा। महाधिवेशन में मणिपुर और असम सहित अन्य राज्यों में आदिवासी समाज के हितों से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी। झामुमो का मानना है कि हेमंत सोरेन देश में आदिवासियों के सबसे प्रभावशाली नेता बनकर उभरे हैं और उनकी नीतियां आदिवासी समुदाय के लिए आशा की किरण हैं।

कल्पना सोरेन को मिल सकता है बड़ी जिम्मेदारी
महाधिवेशन में पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। फिलहाल, शिबू सोरेन केंद्रीय अध्यक्ष और हेमंत सोरेन कार्यकारी अध्यक्ष हैं। हालांकि, पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिबू सोरेन को एक बार फिर अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है। इसके साथ ही, विधायक कल्पना सोरेन को संगठन में केंद्रीय उपाध्यक्ष या महासचिव जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे जाने का प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है। झामुमो के इस महाधिवेशन से न केवल संगठन को मजबूती मिलेगी, बल्कि आगामी राजनीतिक रणनीतियों को भी धार देने का काम किया जाएगा।


 

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