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तीन धर्मों के संगम कौलेश्वरी पर्वत पर जल्द बनेगा रोपवे, आना-जाना होगा सुगम 

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द फॉलोअप डेस्क 

चतरा जिले के कौलेश्वरी पर्वत पर आने-जाने के लिए जल्द ही रोपवे बनाए जाने की योजना है। यह पर्वत अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किया गया है और यहाँ पर यात्रा को सुगम बनाने के लिए एक रोपवे का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए स्थान का चयन कर लिया गया है और रेलवे के राइट्स को परामर्शी एजेंसी के रूप में चुना गया है। इस एजेंसी ने फिजिबिलिटी स्टडी कर पर्यटन निदेशालय को रिपोर्ट सौंप दी है।
कौलेश्वरी पर्वत 40.10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें अधिकांश भूमि वन विभाग के अधीन है। पर्यटन निदेशालय ने इस परियोजना के लिए वन विभाग से एनओसी (नॉलेज ऑफ़ कंसेंट) मांगी है। एनओसी मिलते ही इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। इस संबंध में डीसी रमेश घोलप ने बताया कि भूमि संबंधी रिपोर्ट पर्यटन विभाग को पहले ही उपलब्ध करवा दी गई है।
मंगलवार को विधानसभा में चतरा के विधायक जनार्दन पासवान ने इस परियोजना को लेकर सवाल उठाया, जिसके जवाब में पर्यटन, कला-संस्कृति और खेलकूद मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि वन विभाग से एनओसी का इंतजार किया जा रहा है।
कौलेश्वरी पर्वत पर पर्यटन की एक और खासियत यह है कि यह सनातन, बौद्ध और जैन धर्म का संगम स्थल है। पर्वत पर स्थित मां कौलेश्वरी का मंदिर, जैन मंदिर और बैद्ध स्थल मड़वा-मड़ई इस क्षेत्र की धार्मिक महत्ता को दर्शाते हैं। इसके अलावा, यह स्थान विभिन्न देशों के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चीन, तिब्बत, नेपाल, भूटान, थाईलैंड, श्रीलंका और ताईवान जैसे देशों के लोग भी यहां आते हैं। वर्तमान में इस पर्वत की चोटी तक पहुंचने का कोई आसान रास्ता नहीं है, लेकिन रोपवे बनने के बाद यह समस्या हल हो जाएगी।
कौलेश्वरी पर्वत के बारे में सबसे पहले अंग्रेज अफसर सर विलियम हंटर ने डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में उल्लेख किया था। इसके बाद वर्ष 1900 में अंग्रेज अफसर जेएम स्टेन ने यहां आकर अपनी यात्रा वृतांत में पर्वत की विशेषताओं का वर्णन किया। 1914 में प्रकाशित एक सर्वे रिपोर्ट में भी इस पर्वत की ऐतिहासिक और पौराणिक महत्वता को बताया गया था।

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