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70 साल बाद होगा गोड्डा कॉलेज का निर्माण, सुलझा जमीन विवाद 

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द फॉलोअप डेस्कः 
70 साल के बाद गोड्डा कॉलेज का निर्माण होगा। गोड्डा कॉलेज की अधिकांश जमीन फॉरेस्ट लैंड थी। इस वजह से मामला हर बार फंस जाता था और कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। एक ओर जमीन दान में दी गयी थी, उसके कोई कागजात नहीं थे। वहीं फॉरेस्ट लैंड का भी क्लीयरेंस नहीं था। इस वजह से कई लोग जमीन पर अपनी दावेदारी पेश करते थे साथ ही अतिक्रमण और अपना-अपना दावा करने लगे थे। विवाद की वजह से जिले के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण कॉलेज के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ था। गोड्डा कॉलेज के विकास के लिए सरकार 150 करोड़ रुपये खर्च करेगी। गोड्डा कॉलेज परिसर में अलग-अलग भवन खेल मैदान समेत और भी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाये जाएंगे। यह जानकारी पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने दी है। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 70 साल पुराना विवाद सुलझाने की पहल की। इसके साथ ही विधायक प्रदीप यादव ने बिना नाम लिए  कहा कि वे लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इसके लिए कॉलेज को राशि देनी होगी, जबकि इसके लिए राशि राज्य सरकार देगी, उनका इशारा भाजपा नेताओं की तरफ था। आगे उन्होंने कहा कि उनलोगों को गोड्डा से नहीं कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि वो अडानी के लिए फॉरेस्ट लैंड क्लीयरेंस करवाने में रुचि रखते हैं लेकिन कॉलेज के लिए नहीं। वहीं प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य सरकार लगातार अच्छे काम कर रही है। जिसमें गोडा कॉलेज के विकास के लिए 150 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। 


जल्द मिल सकता है छात्रों को सुविधा
मालूम हो कि संताल परगना के सबसे पुराने कॉलेजों में शुमार गोड्डा कॉलेज की करीब 38.7 एकड़ जमीन पर वन विभाग दावा करता रहा था। वन विभाग के दावे के पीछे सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश है जिसमें कहा गया है कि सर्वे खतियान में जंगल झाड़ दर्ज सरकारी जमीन वन विभाग का है, इसमें गैर वानिकी कार्य के लिए विभागीय आदेश लेना होगा। लेकिन कॉलेज प्रशासन का दावा है कि उन्हें सरकार ने उक्त जमीन 1954 में ही अधिग्रहित कर दिया था जिसमें वन विभाग के दावे का कोई आधार ही नहीं बनता है। बावजूद इसके बीते कई दशक से यहां कॉलेज की उक्त 38.7 एकड़ जमीन को लेकर जिच बरकरार है। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि 1954 में दुमका के तत्कालीन उपायुक्त ने बनेली स्टेट की जमीन को कॉलेज के लिए अधिगृहीत किया था। लेकिन इसके बाद प्रशासन की ओर से जमीन का सीमांकन नहीं कराया गया। कालांतर में कॉलेज की जमीन पर कई सरकारी भवन बन गए। कल्याण विभाग का होस्टल, फोरेस्ट ट्रेनिग हॉस्टल, सामुदायिक भवन, हैलीपैड, सूटिग स्थल, किसान भवन आदि अनेक संरचनाएं वर्तमान में मौजूद हैं जो कॉलेज की ही जमीन पर अवस्थित है। विधायक प्रदीप यादव ने गोड्डा कॉलेज की जमीन को सीमांकित कर उसकी चारदीवारी के लिए सरकार को पत्र भी लिखा था। जिसके बाद सरकार ने इसकी पड़ताल शुरू की थी। जिसके बाद यह मामला लगभग सुलझ गया है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही कॉलेज छात्रों को सुविधाओं से लैस मिलेगा। 

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