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आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच की आदेश को सार्वजनिक कर हेमंत सरकार ने नियमों का किया उलंघन- अमर कुमार बाउरी 

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द फॉलोअप डेस्क, रांची 
झारखंड सरकार के आज के कैबिनेट के फैसले के बाद यह बात साबित हो गई है हेमंत सरकार व्यक्तिगत रूप से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को टारगेट कर उनके खिलाफ कार्यवाही करने का मन बना रही है। जबकि यह पूरा मामला माननीय झारखंड उच्च न्यायालय में लंबित है बावजूद इसके हेमंत सोरेन की सरकार पूर्व सरकार के 5 मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में आज कैबिनेट से पीई दर्ज करने का प्रस्ताव पारित किया है। अब सरकार के इस फैसले के खिलाफ हम सभी कानूनी रूप से इसका जवाब देंगे और सरकार के षड़यंत्र को जनता के समक्ष लाएंगे। उक्त बातें चंदनकीयारी विधायक सह पूर्व मंत्री अमर कुमार बावरी ने कही है. बता दें की मंगलवार की शाम झारखंड कैबिनेट की बैठक में कुल 29 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गयी. जिसमें एक फैसला रघुवर सरकार के कार्यकाल में मंत्री रहे अमर कुमार बाउरी, रणधीर कुमार सिंह, डॉ० नीरा यादव, लुईस मरांडी एवं नीलकंठ सिंह मुण्डा के विरूद्ध प्रत्यानुपातिक धनार्जन की जांच को लेकर पी.ई. दर्ज करने की अनुमति दिये जाने पर मजूरी दी गई.

मुख्यमंत्री को नियम कानून की जानकारी नहीं 

उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी सरकार के आदेश पर पीआरडी ने विज्ञप्ति जारी कर 5 मंत्रियों पर आय से अधिक संपत्ति मामले में एसीबी जांच के निर्देश दिया था। जब कि सरकार अपने ही संकल्प के खिलाफ जा कर इस तरह की कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के अक्षम मुख्यमंत्री को नियम कानून की भी जानकारी नहीं है। दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री ने सरकारी संकल्प को ही ठेंगा दिखाते हुए आदेश जारी कर दिया, जबकि सरकारी संकल्प में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्यानुपातिक धनार्जन के संबंध में प्रारंभिक जांच गोपनीय रूप से की जायेगी। अनुमति प्रदान करने की प्रक्रिया भी गोपनीय रहेगी। किसी भी स्तर से सूचना को सार्वजनिक नहीं किया जायेगा। यदि गोपनीय आसूचना सत्यापन के उपरान्त प्रारंभिक जांच दर्ज करना आवश्यक है तो ब्यूरो प्रमुख द्वारा उपरोक्त कंडिका में अंकित प्राधिकार के अनुमोदनोपरान्त अग्रतर कार्रवाई की जा सकेगी।

पूर्व मंत्री पर कोई जांच बैठाने से पहले राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक- बाउरी 

सरकार की बनायी नियमावली का ही उल्लंघन किया जा रहा है। इसके साथ ही राजनीतिक बदले की भावना से हेमंत सरकार काम कर रही है। नियम के अनुसार पूर्व मंत्री पर कोई जांच बैठाने से पहले राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक है, लेकिन हेमंत सरकार ने इसका भी पालन नहीं किया, जो लोकतंत्र के लिए बहुत दुखदायी है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के समक्ष चुनाव के समय अपनी आय का ब्यौरा पहले से ही दिया जाता है, जो पब्लिक डोमेन में है। इसमें कुछ भी छिपाने की बात नहीं है। हेमंत सरकार जो खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई है। हम चोर तो सभी चोर की मानसिकता से 2020 से भ्रष्ट सरकार को बचाने में लगे है।

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