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JSCA : तीखी होगी जमशेदपुर के एसके बेहरा बनाम रांची के अजय नाथ शाहदेव के बीच की लड़ाई

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द फॉलोअप डेस्क

बाबूलाल मरांडी ने सीएम से प्रशासनिक हस्तक्षेप रोकने की मांग की

अमिताभ चौधरी के निधन के बाद झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) का पहला चुनाव होने जा रहा है। 18 मई को जेएससीए को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। चुनाव के चेहरे सामने आ गए हैं। इस बार अमिताभ चौधरी का पूरा कुनबा बिखर कर दोनों गुटों में पसर गया है। कुछ जमशेदपुर के उद्योगपति एसके बेहरा के साथ हैं तो कुछ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय नाथ शाहदेव की टीम से जुड़ गए हैं। इन दोनों ही गुटों के बीच संघर्ष सीधा और तीखा है। दोनों गुटों की अपनी अपनी मजबूती और कमजोरी है। अजय नाथ शाहदेव खुद अध्यक्ष तो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलनेवाले सौरभ तिवारी सचिव पद के उम्मीदवार हैं। दूसरी ओर अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एसके बेहरा की टीम में खूंटी के एसबी सिंह सचिव पद के प्रत्याशी हैं।


ब्यूरोक्रेसी बनाम वर्तमान टीम
आईपीएस अखिलेश झा एसके मेहरा की टीम को जीत दिलाने का बीड़ा उठा लिया है। राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन खुल कर उनके साथ हैं। वहीं मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, रिटायर आईपीएस बीबी प्रधान सरीखे कई ब्यूरोक्रेट्स भी मेहरा के ही साथ बताए जा रहे हैं। इसी तरह रंजीत कुमार सिंह, देवाशीष चक्रवर्ती, नितिन सर्राफ, पूर्व डीआईजी हेमंत टोप्पो, श्रवण जाजोरिया, रिचर्ड लकड़ा, रेजी डुंगडुंग, डॉ सुमंत मिश्रा, अमिताभ चौधरी की बहन विशाखा मिश्रा सहित कई अन्य खुल कर और परोक्ष रूप से मेहरा के साथ बताए जा रहे हैं। वहीं अजय नाथ शाहदेव का जेएससीए के वर्तमान अध्यक्ष संजय सहाय, सीसीए के अध्यक्ष राजेश वर्मा बॉबी, सुनील साहु, चाईबासा के असीम कुमार सरीखे सदस्य खुल कर साथ दे रहे हैं।
मेहरा और शाहदेव की अपनी अपनी मजबूती कमजोरी
अजय नाथ शाहदेव के बारे में कहा जा रहा है कि अमिताभ चौधरी के साथ रहने का उन्हें लाभ मिलेगा। क्योंकि अमिताभ चौधरी के साथ रह कर उन्होंने जेएससीए की बारीकियों तथा चुनाव लड़ने की तरकीबों से खासा परिचित हुए हैं। लेकिन यही उनकी कमजोरी भी है। अमिताभ चौधरी के विरोधी,उनके विरोधी के रूप में भी गिने जा रहे हैं। व्यवहार कुशलता और मृदुभाषी होना भी उनकी मजबूती बताया जाता है। उसी तरह बड़ा व्यवसाय और अरबों का मालिक, एसके बेहरा की पहली मजबूती है। सरलता और सुलभता भी उनकी मजबूती गिनायी जा रही है। ब्यूरोक्रेसी का बड़ा समर्थन उनको मजबूती प्रदान करता दिख रहा है। लेकिन जमशेदपुर में बच्चों को क्रिकेट के प्रशिक्षण के लिए क्लब चलाने के अलावा उन्होंने यहां जेएससीए से जुड़ कर कोई बड़ा काम नहीं किया है।

लगभग 720 सदस्य करेंगे अध्यक्ष का फैसला
जेएससीए के वर्तमान में लगभग 720 सदस्य हैं। इनमें सबसे अधिक रांची जोन के 250 सदस्य हैं। जमशेदपुर से भी लगभग 184 सदस्य हैं। इसके अलावा बोकारो, धनबाद, चाईबासा, लोहरदगा जैसे प्रत्येक जिले से 20 से लेकर 30 तक सदस्य हैं। रांची और जमशेदपुर का चुनाव में दबदबा दिखता है। लेकिन धनबाद, बोकारो, लोहरदगा, हजारीबाग जैसे जिले भी अपनी प्रभावी भूमिका निभाते हैं।

जेएससीए के करोड़ों की आमदनी पर शुरू से रही है सबकी नजर
जानकारी के अनुसार जेएससीए को बीसीसीआई और अन्य स्रोतों से प्रति वर्ष करोड़ों की आमदनी होती है। इनमें जेएससीए परिसर में चलनेवाले कैंटीन व विभिन्न कार्यक्रम और समारोहों को लिए भाड़े पर दिए जानेवाले जगह से भी आमदनी होती है। करोड़ों की इस आमदनी पर कब्जे के लिए जेएससीए पर कब्जे की कोशिश होती रही है। इसके अलावा जेएससीए में जगह पाने के बाद बीसीसीआई के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को निखारने की भी कोशिश होती है। देश और दुनिया के चर्चित व्यक्तियों और पूंजीपतियों से संबंध स्थापित करने का रास्ता मिलता है। यही कारण है कि जेएससीए के 80 फीसदी सदस्यों का खेल से सीधा संबंध नहीं रहा है। बड़े बड़े पूंजीपति, ब्यूरोक्रेट्स, व्यवसायी, ठेकेदार, नेता इसके सदस्य बन कर राज्य के खिलाड़ियों का भाग्य तय करते आ रहे हैं।

बाबूलाल मरांडी ने सीएम से जेएससीए चुनाव में प्रशासनिक हस्तक्षेप रोकने की मांग की
इधर प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर जेएससीए चुनाव में सरकारी तंत्र के दुरुपयोद एवं प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारियों और व्यक्तियों द्वारा चुनाव को प्रभावित करने की आशंका जतायी है। उन्होंने कहा है कि सरकारी सेवा में लगे अधिकारी चुनाव प्रचार के लिए खुलेआम घूम रहे हैं तथा प्रशासनिक तंत्र का खुले तौर पर दुरुपयोग कर रहे हैं। ये सरकारी अधिकारी अपने पद, प्रभाव एवं सुविधाओं का इस्तेमाल कर मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं, जो पूर्णतः अवैध, अनैतिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। आप स्वयं जानते हैं कि पूर्व में भी JSCA के चुनावों में सत्ता का दुरुपयोग होता रहा है, जिसके कारण चयन प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिला है। इसका सीधा प्रभाव राज्य के योग्य एवं मेहनती खिलाड़ियों के अवसरों पर पड़ा है, जिससे वे हतोत्साहित एवं निराश हुए हैं।
    JSCA के चुनाव में ऐसे लोगों के कब्जे से यह भी देखा गया है कि एसोसिएशन की संपत्ति और संसाधनों का मनमाने ढंग से दुरुपयोग होता है। अपने प्रभाव से ये लोग वर्षों तक पदों पर बने रहते हैं और अपने चहेते लोगों को सदस्य बनाकर संगठन को भ्रष्टाचार का केंद्र बना देते हैं।    इस स्थिति में अत्यंत आवश्यक है कि JSCA के पदाधिकारियों का चयन पूर्णतः स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो, ताकि खेल प्रेमियों का मनोबल बना रहे और राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गर्व से ऊँचा हो सके।

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