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दुमका के नए पुल का नाम शिबू सोरेन के नाम पर रखने को लेकर लुईस मरांडी ने जताया कड़ा ऐतराज

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द फॉलोअप टीम, दुमकाः
दुमका के कुमड़ाबाद में नवनिर्मित पुल का नाम झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन सेतु रखे जाने के प्रस्ताव पर भाजपा नेताओं ने विरोध जताया है। भाजपा की पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने कहा कि राजनीति का यह चरित्र परिवारवाद का एक और बड़ा उदाहरण है। सरकार अगर सही मायने में आदिवासियों की हितैषी है तो इस पुल का नाम अमर शहीद तिलकामांझी रखे जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में लेकर आए। इस पुल के निर्माण की आधारशिला मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में रखी गई थी। भाजपा की सरकार ने इस पुल के निर्माण की स्वीकृति देकर सैकड़ों गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की है, जिसका श्रेय हेमंत सरकार ले रही है।


कोई योगदान नहीं है हेमंत सरकार का 
लुईस मरांडी ने कहा कि पुल का नाम शिबू सोरेन रखकर आखिर सरकार क्या जताना चाहती है, यह जनता को बताना चाहिए। आखिर इस पुल के निर्माण में शिबू सोरेन या हेमंत सरकार का क्या योगदान है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के काल में इस पुल के निर्माण की परिकल्पना करते हुए इसे धरातल पर उतारने की पहल हुई थी। कई ऐसे गांव हैं जहां ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं व आवश्यकताओं के लिए तरस रहे थे। भाजपा ने उनका दर्द समझा और इस पुल को बनाने की पहल की। आदिवासी महिलाओं को प्रसव के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं हो पाता था उन्हें अब पुल बनने से तमाम सुविधाएं मिल पाएगी। अब जब पुल बनकर तैयार हो गया है तो हेमंत सरकार वाहवाही लूटने में व्यस्त है।

 


सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है
पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि हेमंत सरकार की करतूतों को दुमका की जनता देख भी रही है और समझ भी रही है। सोरेन परिवार ने जनता का सिर्फ शोषण किया है। आदिवासी समुदाय को अनपढ़ व अशिक्षित रखकर वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। 

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