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हिमाचल के सीएम से इस्तीफा मांगने वाले बयान पर मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू कायम, बोले– समझ-बुझकर बयान दिया था

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द फॉलोअप डेस्कः

झारखंड के नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस्तीफा मांगने वाले अपने बयान पर कायम रहने की बात कही है। रांची में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बयान कोई चूक नहीं थी, बल्कि पूरी सोच-समझ के साथ दिया गया था। सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि जब जिम्मेदार व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी लेना छोड़ दे तो गैर-जिम्मेदार लोगों को ही किसी घटना की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी और इसी संदर्भ में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम लिया था। 


उन्होंने कहा कि 1956 में रेल दुर्घटना होने पर तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।1999 में रेलमंत्री के रूप में नीतीश कुमार भी इस्तीफा दे दिया था. 2008 में मुंबई ब्लास्ट के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने इस्तीफा दे दिया था।  में आज जब पहलगाम में कोई आतंकी 300 किलोमीटर चलकर आता है और वीभत्स घटना को अंजाम देता है तो आखिर जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी बनती है। मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि यह सवाल पत्रकार बिरादरी की ओर से उठाना चाहिए था लेकिन जब पत्रकारों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया। इसपर उन्होंने सवाल उठाया कि केंद्रशासित प्रदेश होने के नाते पहलगाम की जिम्मेदारी किसकी बनती है। 


रांची में संवाददाता सम्मेलन के दौरान मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि उनके कल के बयान पर कई तरह की बातें की जा रही हैं। हमारे ज्ञान पर सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन मूल बातें कोई नहीं कर रहा है। मंत्री ने कहा कि पुलवामा की घटना में आरडीएक्स पहुंचाने वाले में एक डीएसपी का नाम आया था, उसका क्या हुआ? पठानकोट एयरबेस पर हमला हुआ, तब भी किसी की जवाबदेही तय नहीं हुई। जब बड़ी त्रासदी और आतंकी हमलों पर भी कोई जवाबदेही जिम्मेदार लोग न लें तो मैंने कहा कि जो घटना के जिम्मेवार नहीं है उन्हें जवाबदेही लेना चाहिए। इसलिए हमने हिमाचल के सीएम का नाम लिया। मंत्री ने साफ किया कि वह भगवंत मान, ममता बनर्जी या हेमंत सोरेन किसी का भी नाम ले सकते थे।