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निशिकांत दुबे ने संसद में की झारखंड में राष्ट्रपति शासन की मांग, फिर से उठाया कथित बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला 

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रांची 

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर बुधवार को लोकसभा में बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि झारखंड, विशेष रूप से संथाल परगना क्षेत्र, अवैध घुसपैठियों के कारण गंभीर जनसांख्यिकीय बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिससे आदिवासी समुदाय की जनसंख्या तेजी से घट रही है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने और संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग की। निशिकांत दुबे ने सदन में कहा कि 1951 में संथाल परगना में आदिवासी आबादी 45% थी, जो 2011 में घटकर 28% रह गई, जबकि इसी दौरान मुस्लिम आबादी 9% से बढ़कर 24% हो गई। उन्होंने इस बदलाव का कारण बांग्लादेशी घुसपैठ बताया और कहा कि यह सिर्फ हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं, बल्कि झारखंड की सामाजिक संरचना से जुड़ा संकट है।


राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
दुबे ने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार इस घुसपैठ को रोकने में पूरी तरह विफल रही है, जिससे राज्य की सुरक्षा और आदिवासी अधिकारों पर खतरा बढ़ गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करने का आग्रह किया। भाजपा सांसद ने यह भी मांग की कि आगामी परिसीमन में बांग्लादेशी घुसपैठियों को अलग करके जनसंख्या का नए सिरे से निर्धारण किया जाए, ताकि आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटें सुरक्षित रह सकें।
गौरतलब है कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों में भी यह मुद्दा भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा था। चुनाव प्रचार के दौरान निशिकांत दुबे और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा जैसे नेताओं ने इस पर खुलकर बयान दिए, लेकिन इसके बावजूद भाजपा को अपेक्षित चुनावी लाभ नहीं मिला। अब दुबे एक बार फिर संसद में इस मुद्दे को गरमा रहे हैं।

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