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दिल्ली : तानाशाह कहना असंसदीय है तो फिर पीएम के पीछे स्पीकर का खड़ा होना क्या है- असदुद्दीन ओवैसी

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डेस्क: 

18 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। इससे पहले लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat)  की तरफ से एक गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें कई शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है। इसका मतलब है कि संसद के सदस्य सदन में अपने संबोधन के दौरान इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। किसी सदस्य ने यदि इन शब्दों का इस्तेमाल किया तो उपरोक्त शब्द को रिकॉर्ड से हटा दिया जायेगा। बार-बार इन शब्दों का इस्तेमाल करने पर सदस्य को निलंबित भी किया जा सकता है। 

असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया सवाल
विपक्षी पार्टियों ने इस पर आपत्ति जताई है। एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि आप संसद में जो बोलते हैं उसमें संदर्भ महत्वपूर्ण होता है। आप केवल शब्दों को असंसदीय नहीं कह सकते। क्या ये असंसदीय नहीं है कि स्पीकर प्रधानमंत्री के पीछे बैठते हैं। दरअसल, हाल ही में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रही नई पार्लियामेंट बिल्डिंग के शीर्ष पर अशोक चिह्न बनाया गया। इसका अनावरण प्रोटोकॉल के हिसाब से स्पीकर को करना था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसका अनावरण किया। विपक्ष ने इस पर भी कड़ी आपत्ति व्यक्त की थी। कांग्रेस ने भी इस प आपत्ति जताई है। 

 

किन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता! 
संसद की तरफ से जारी गाइडलाइन के मुताबिक लोकसभा अथवा राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान संसद के सदस्य भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचारी, जुमलेबाजी, तानाशाह, ब्लैक और खालिस्तानी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। जयराम रमेश (Jairam Ramesh), डेरेक ओ ब्रॉयन (Darek O'Brien), रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) और प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) ने इस पर सवाल खड़ा किया है। डैरेक ओ ब्रॉयन ने अपने ऑफिशियल ट्विटर पर लिखा कि कुछ दिनों में मानसून सत्र शुरू होने वाला है। 

हमें संसद में भाषण देते समय इन बुनियादी शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ये शर्मनाक है। दुर्व्यवहार किया जा रहा है। ये धोखा है। भ्रष्ट है। ये पाखंड है। उन्होंने इस कृत्य को अक्षमीय बताया है। डैरेक ओ ब्रॉयन ने कहा कि मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। मुझे निलंबित करो। मैं लोकतंत्र के लिए संघर्ष करता रहूंगा। 

तानाशाही की तरफ बढ़ता जा रहा है देश
लोकसभा और राज्यसभा के कई वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि देश इस प्रकार तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। धीरे-धीरे हमारा विशाल लोकतंत्र व्यक्तिवाद की तरफ केंद्रित होता जा रहा है। यहां आने वाले वक्त में किसी को सवाल पूछने तक की इजाजत नहीं दी जायेगी। एकतरफा संवाद होगा। सरकार की कार्यप्रणाली या नीतियों पर सवाल नहीं उठाया जा सकेगा।