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सोनू सूद ने फिर छेड़ी नेपोटिज्म पर बहस, कहा- कलेजा लोहे का है तो ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में रखना कदम द

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द फॉलोअप टीम 
प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बनकर ऊभरे सोनू सूद का एक बड़ा बयान आया है। सुशांत सिंह की आत्महत्या के बाद से पूरे बॉलीवुड पर एक-एक कर के सभी नेपोटिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच अभिनेता सोनू सूद ने बॉलीवुड में चल रहे भीतरी और बाहरी की मौजूदा बहस में थोड़ा और वजन बढ़ा दिया है। अभिनेता सोनू सूद कहते हैं कि बॉलीवुड में जिनके परिवार का ताल्लुक है, उसे असानी से सफलता मिल जाती है,  पर बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं।
जानिए क्या दी सोनू सूद ने सलाह ? 
चर्चित अभिनेता सोनू सूद ने बॉलीवुड के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि  ‘मैं बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को सिर्फ एक ही बात कहना चाहूंगा कि अगर आप लोहे का कलेजा रखते हैं तो ही ऐसे सपने लेकर यहां आना। किसी चमत्कार के होने की आशा मत रखना।' यह बॉलीवुड है यहां बिना जान पहचान के कुछ नहीं मिलता। सोनू ने कहा कि 'सिर्फ आप दिखने में अच्छे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी प्रोडक्शन हाउस आपको अपनी फिल्म में ले लेगा। 
स्टार किड को मिलता है आसानी से मौका 
सोनू सूद ने कहा कि एक स्टार किड को आसानी से मौके मिल जाते हैं। उनके पिता को बस एक फोन घुमाना है और निर्देशक और निर्माता से बात करनी है। और उन्हें काम मिल जाएगा। सोनू ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा, 'जब एक बाहरी व्यक्ति अपने सपने पूरे करने के लिए मुंबई शहर में आता है तो हमें बहुत गर्व होता है। इससे दूसरे लोगों की इच्छाओं को भी बल मिलता है। लेकिन, जब कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिसकी आशा ना हो तो यह सबका दिल तोड़ देती हैं।
 मुझे किसी ऑफिस में घुसने तक नहीं दिया गया                                                                               
सोनू सूद आगे कहते हैं कि मैंने शुरुआत के छह से आठ महीने बहुत मुश्किल में गुजरे थे। जब मैं इस शहर में आया था तो मेरे हाथ में मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री तो थी ही और मैं सोच भी रहा था कि लोग मेरे साथ कुछ अलग तरीके से पेश आएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। मुझे किसी ऑफिस में घुसने तक नहीं दिया गया।' इसलिए इस क्षेत्र मे आने के लिए लोहे का कलेजा होना बहुत जरुरी है।