द फॉलोअप टीम, चतरा:
विकास योजनाओं के नाम पर अफसर सरकारी खजाने की लूट का रास्ता कैसे बनाते हैं, इसका जीवंत उदाहरण अगर आपको देखना है तो चतरा चले आईए। जिले के कोयलांचल टंडवा में गेरुआ नदी पर निर्माणाधीन पुल का डायवर्सन। गेरुआ नदी का पुल क्षतिग्रस्त है। इसकी मरम्मत और इसके क्षतिग्रस्त हिस्सों के नये सिरे से निर्माण की योजना एनटीपीसी ने बनाई और इसका ठेका द रियल क्लासिक कंस्ट्रक्शन को सौंपा है।
पुल की लागत से ज्यादा टेम्पररी डायवर्सन की लागत
पुल बनाने की लागत करीब 96 लाख रुपये है। लेकिन इसी पुल से महज 20 मीटर की दूरी पर पथ निर्माण विभाग एक टेम्पररी डायवर्सन भी बनाया रहा है। और इसकी लागत तय हुई है 1 करोड़ 55 लाख रुपये। पुल की लागत से ज्यादा टेम्पररी डायवर्सन की लागत का यह मामला जिले में चर्चा का विषय है। विभाग ने यह काम सौंपा है पूजा कंस्ट्रक्शन को। सवाल उठ रहा है कि अफसरों ने आखिरकार टेम्पररी डायवर्सन के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की योजना कैसे पास कर दी।
क्या कह रहे हैं जेएमएम नेता
झामुमो के केंद्रीय सदस्य संतोष नायक का आरोप है कि गेरुआ पुल से महज 20 मीटर की दूरी पर बनाए जा रहे डायवर्सन में पथ निर्माण विभाग के अफसरों और संवेदक की मिलीभगत से सरकार के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने इसे खजाने पर अफसरों और ठेकेदार द्वारा डाका की गंदी साजिश रचने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है।
क्या कह रहे हैं सिमरिया विधायक किशुन दास
गेरुवा नदी पर बना पुल नौ महीने पहले क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे प्रखंड के लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही थी, जिसके बाद मैने ने मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी और पुल का निर्माण कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पथ निर्माण विभाग द्वारा इसकी मरम्मत के लिए जो प्राक्कलन तैयार किया गया, वह 96 लाख का था। इसी प्राक्कलन के अनुसार एनटीपीसी इस पुल के क्षतिग्रस्त हिस्सों का निर्माण करा रहा है।
क्या कहा जिले के डीसी ने
चतरा के डीसी दिव्यांशु झा ने पूछे जाने पर बताया कि यह योजना राज्य से स्वीकृत है। ऐसे में इस बाबत उनके द्वारा किसी टिप्पणी का कोई औचित्य नहीं है।