द फॉलोअप टीम, गढ़वा:
पूरा भारत भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी मना रहा है। पूरे देश के अलग-अलग कृष्ण मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त और श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं। इस मौके पर आपको ऐसे कृष्ण मंदिर के बारे में बताते हैं जो अपनी बनावट और मान्यताओं के हिसाब से अलौकिक है। बात हो रही है गढ़वा जिला अंतर्गत नगर उंटारी अनुमंडल स्थित बंशीधर मंदिर का। यहां भगवान कृष्ण की अद्वितीय, अलौकिक और नयनाभिराम प्रतिमा है।
कहा जाता है कि ना केवल देश बल्कि विदेशों से भी यहां भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। दावा है कि बंधीधर कृष्ण मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पूरे विश्व में अकेली है जो 32 मन ठोस सोने से बनी है।
बंधीधर मंदिर में अलौकिक श्रीकृष्ण प्रतिमा
भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए आप मथुरा और वृंदावन जाना पसंद करते हैं, लेकिन विलक्षण और सबसे अलहदा भगवान कृष्ण की प्रतिमा देखनी हो तो ज़रा झारखंड में गढ़वा का रुख़ कीजिये। यहां सालों पूर्व मंदिर में स्थापित है विश्व का इकलौता अद्वितीय 32 मन ठोस सोने की कृष्ण की प्रतिमा। इस बार भी कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कोविड-19 की गाइड लाइन के चलते मंदिर को बन्द रखा गया है। हालांकि वृन्दावन से आये पुरोहितों द्वारा पूजा पाठ किया जा रहा है।
200 साल पहले हुई थी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा
मंदिर के ट्रस्टी राजेश प्रताप देव ने बताया कि आज से तकरीबन 200 साल पहले नगर उंटारी की राजमाता शिवमानी कुअंर को सपना आने के बाद पहाड़ पर खुदाई कराई गयी। इसी खुदाई में भगवान कृष्ण की यह प्रतिमा मिली। राजमाता प्रतिमा को अपने महल में स्थापित करना चाहती थीं, पर वर्तमान में जहां मंदिर है, वहीं पर वह हाथी बैठ गया जो पहाड़ से लेकर प्रतिमा आ रहा था। इसलिए प्रतिमा वहीं स्थापित करनी पड़ी। 21 जनवरी 1828 को वसंत पंचमी के दिन उक्त प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। उन्होंने कहा कि भगवान बंशीधर से लोगों की अगाध श्रद्धा जुड़ी हुई है। ट्रस्ट के अध्यक्ष सह नगर गढ़ के युवराज राजेश प्रताप देव ने कहा कि एसडीएम द्वारा कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने के अनुमति दी गई है। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का कपाट बंद रहेगा।
राहुल सांकृत्यान ने भी किया था प्रतिमा का जिक्र
गौरतलब है कि मंदिर में स्थापित प्रतिमा की अलौकिकता की व्याख्या सांकृत्यायन ने भी की है। अपनी यात्रा के दौरान कालांतर में नगर पहुंचे राहुल सांकृत्यायन ने मंदिर में कुछ समय गुज़ारा था। उन्होंने भी प्रतिमा को विश्व में अपने आप में अकेला अद्वितीय और अनूठा बताया था। मंदिर की महत्ता के बारे में अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्थानीय लोगों की दिनचर्या की शुरुआत भगवान कृष्ण के दर्शन के साथ होती है। जन्माष्टमी महोत्सव में मंदिर की भव्यता देखते बनती है। भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए यहां देश के कोने -कोने से लोग आते रहे हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां के प्रतिमा को देख मन आह्लादित हो जाता है. यहां दर्शन मात्र से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
मंदिर बंद होने से लोगों की आजीविका पर पड़ा प्रभाव
कोरोना की वजह से मंदिर लंबे वक्त से बंद है। मंदिर बंद होने से पुरोहितों सहित आसपास के दुकानदारों की आजीविका इसी मंदिर से चलती है। मंदिर बंद होने से उनकी रोटी-रोटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस बीच एसडीओ आलोक कुमार ने कहा की सरकार का जो गाइडलाइन है। उसके तहत जन्माष्टमी मनाई जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि मंदिर का कपाट जल्दी ही खुलेगा और यहां श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन और पूजन कर पायेंगे।