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जिसे थी दर्द कम करने की जिम्मेदारी वह बार बार दे रहा है जख्‍म

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द फॉलोअप टीम, रांची
अगर आप झारखंड में डीवीसी के कमांड एरिया में रहते हैं, तो आप कभी सरकार पर तो कभी अपनी किस्मत पर रोएंगे। आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आपकी बत्ती गुल हो सकती है। डीवीसी और सरकार दोनो एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहेंगे और हम और आप कभी दायं, तो कभी बायं देखते रहेंगे। ये खबर नया है लेकिन कहानी बहुत पुरानी है। डीवीस अपने कमांड एरिया के सात जिलों में बिजली आपूर्ति में कटौती सोमवार से आरंभ कर दी।
तू दे मेरे पैसे
राज्य सरकार को सितंबर 2020 की बिजली आपूर्ति मद में 150.29 करोड़ रुपये का भुगतान डीवीसी को करना था। झारखंड बिजली वितरण निगम की ओर से भुगतान के आश्वासन के बाद डीवीसी ने बिजली कटौती की मियाद 13 दिसंबर से एक सप्ताह आगे बढ़ा दी थी। निगम ने वादे के मुताबिक भुगतान नहीं किया तो डीवीसी ने सोमवार से कमांड एरिया के जिलों में कटौती आरंभ कर दी।
150 करोड के बदले 25 करोड़ का भुगतान
डीवीसी के मुताबिक निगम ने 150.29 करोड़ के मुकाबले महज 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसके अलावा जल्द 25 करोड़ रुपये के भुगतान का भरोसा दिलाया गया है। यह राशि काफी कम है, जिसे देखते हुए डीवीसी प्रबंधन ने कटौती करने का निर्णय किया। इसकी सूचना राज्य सरकार समेत संबंधित जिला प्रशासन को भी दी गई है। डीवीसी के मुख्य अभियंता एमसी रक्षित के मुताबिक अगले एक सप्ताह तक 180 मेगावाट बिजली की कटौती प्रतिदिन की जाएगी।
600 मेगावाट बिजली की होती है जरूरत
डीवीसी सामान्य दिनों में 600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति झारखंड बिजली वितरण निगम को करता है। एक सप्ताह बाद कटौती में हर सप्ताह दस प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। भुगतान होने के बाद कटौती वापस ले ली जाएगी। इधर बिजली वितरण निगम ने दावा किया है कि जल्द ही बिजली आपूर्ति सामान्य हो जाएगी। डीवीसी को बकाए का भुगतान कर दिया जाएगा।  
पहले काट लिया पैसा तो अब कटौती क्यों
राज्य सरकार ने डीवीसी के रुख पर एतराज जताया है। ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने डीवीसी के अधिकारियों से बात कर आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि डीवीसी ने जब सरकार के खाते से ही 1417.50 करोड़ रुपये काट लिए थे, तो फिर बिजली कटौती करने का क्या आधार है। कोरोना की वजह से राज्य में परिस्थितियां बदली हैं और इसका सीधा असर राजस्व वसूली पर पड़ा है। झारखंड वितरण निगम बिजली खरीद की राशि चुकाने के लिए प्रतिबद्ध है। फिलहाल कुछ जरूरी प्रक्रियाओं की वजह से इसमें विलंब हो रहा है। डीवीसी को बिजली कटौती के निर्णय पर पुनॢवचार करना चाहिए।