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लोहरदगा: लैंडमाइन ब्लास्ट में मृत ग्रामीण के प्रति पुलिस की असंवेदनशीलता, पोस्टमॉर्टम के लिए भी खुद ही लाए परिजन

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द फॉलोअप टीम, लोहरदगा: 


लोहरदगा जिला के पेशरार थाना इलाके में पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबल के जवानों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से प्लांट किए गए लैंडमाइन की चपेट में आकर एक ग्रामीण की मौत हो गई। मृत ग्रामीण की पहचान बीरू भगत उर्फ हीरालाल के रूप में की गई है। ये घटना अति-नक्सल प्रभावित पेशरार थानाक्षेत्र अंतर्गत केरार-बुलबुल के जंगल में घटी। अब इस मामले में स्थानीय जिला और पुलिस प्रशासन पर लापरवाही और असंवेदनशीलता बरतने का आरोप लगा है। 

सूचना देने के बावजूद नहीं पहुंचे पुलिसकर्मी
परिजनों का आरोप है कि सूचना दिए जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर नहीं पहुंची। परिजनों को मृत बीरू भगत का शव खुद से गाड़ी का इंतजाम कर पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल लाना पड़ा। वहां मृतक की लाश को पोस्टमॉर्टम हाऊस तक पहुंचाने के लिए भी कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। मृतक के परिजन ही शव को पोस्टमॉर्टम हाउस तक ले गये। 

खुद ही शव को लाना पड़ा पोस्टमॉर्टम हाउस
लैंडमाइन ब्लास्ट में मारे गए बीरू भगत के पुत्र अनिल टाना भगत ने रोते हुए बताया कि खुद से वाहन किराये पर लेना पड़ाष 1500 रुपये का डीजल डलवाया तब पिता के शव को पोस्टमॉर्टम स्थल तक ला पाया। यही नहीं, गांव तक वापस शव को ले जाने के लिए फिर 1000 रुपयों की जरूरत होगी। उनके पास कोई पैसा नहीं है। अनिल टाना भगत ने बताया कि पुलिस की तरफ से कोई सहायता नहीं मिली जबकि स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा एंबुलेंस और शव वाहन की व्यवस्था करनी चाहिए थी। 

लोहरदगा एसडीपीओ बीएन सिंह ने नहीं दिया जवाब
परिजनों का ये भी आरोप है कि जब शव को पोस्टमॉर्टम के लिए हॉस्पिटल ले आए तब जाकर लोहरदगा एसडीपीओ बीएन सिंह वहां पहुंचे। जब परिजनों के आरोप पर बीएन सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया तो वो आते हैं कहकर चले गए। उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि नक्सलियों ने जंगल में जहां-तहां आइडी प्लांट किया है। सुरक्षाकर्मी और पुलिसकर्मी अक्सर वहां जाने से बचते हैं। यदि लैंड माइंड ब्लास्ट से किसी ग्रामीण की मौत हो जाती है तो अधिकांश मामलों में परिजनों को ही शव लाने के लिए कहा जाता है। 

स्वाधीनता आंदोलन में टाना भगतों का काफी योगदान
गौरतलब है कि टाना भगतों ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अमूल्य योगदान दिया था। आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को देख भारत सरकार द्वारा उनको कई तरह की सुविधा दी जाती है। उनको कई विशेषाधिकार भी मिला है। उनको जमीन का लगान नहीं देना पड़ता। सरकारी योजनाओं में उनको प्राथमिकता दी जाती है। बावजूद इसके जब टाना भगत किसी संकट में फंसते हैं तो जिला प्रशासन से उनको अपेक्षा के अनुरूप सुविधा नहीं मिलती। सहायता नहीं की जाती। हैरानी की बात ये है कि जिले के एसएसपी और पुलिस कप्तान दोनों ने फोन नहीं उठाया। 

मृतक की पत्नी सोनामती ने बयां की पूरी घटना
घटना में मारे गए बीरू भगत की पत्नी सोनामती टानाभगत ने बताया कि वे मछली साग तोड़ने के लिए जंगल में गए थे। गांव से तकरीबन 8 लोग जंगल गए थे। लौटने के लिए उन्होंने शॉर्ट कर्ट का रास्ता चुना था। सोनामती ने बतााय कि वो, उनके पति और उनकी बहू एक कतार में चल रहे थे। सबसे पहले उनकी बहू थी। बीच में वो खुद थीं और सबसे पीछे उनके पति चल रहे थे। तभी अचानक जोर का धमाका हुआ। उनका कहना है कि ऐसा लगा जैसे कि वज्रपात हो गया हो। जम धुएं का गुब्बार छंटा तो उसने अपने पति बीरू भगत उर्फ हीरालाल को जमीन में पड़ा देखा। उसकी दोनों टांगे उड़ चुकी थी। 

ये एक लैंडमाइन ब्लास्ट था। महिला ने कहा कि तकरीबन पौने घंटे तक उनका पति बीरू भगत वहीं पड़ा रहा। वो बात कर रहा था। पानी भी पिया। इस बीच उन्होंने वारदात की सूचना अपने बेटे को दी। जब तक उनका बेटा घटनास्थल तक पहुंच पाता बीरू भगत की मौत हो चुकी थी।