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कोरोना से जंग जीत गयी महिला पर सिस्टम हराने पर तुला, हॉस्पिटल-हॉस्पिटल भागते रहे परिजन

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द फॉलोअप टीम, पटना:
बिहार में अस्पतालों की लचर व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है।  कोरोना संक्रमण काल में व्यवस्था की पोल खुल गयी। यहां एक महिला कोरोना से जंग तो जीत गयी। जब तबियत खराब हुई तो सिस्टम उनको हरा रहा है। दरअसल 50 साल की शकुंतला पटना के इंद्रपुरी मोहल्ले में रहतीं हैं। 

महिला की किडनी का ऑपरेशन
घर वालों का कहना है कि उनकी एक किडनी को ऑपरेशन कर निकाल दिया गया है क्योंकि वह खराब हो चुकी थी। वह कोविड की लड़ाई भी जीत गईं। शकुंतला के रिश्तेदार ने बताया कि जब शंकुन्तला को कोरोना हुआ तो लगा कि उनकी जिंदगी अब नहीं बचेगी लेकिन हिम्मत और हौसले से वह जीत गयीं। 

शनिवार को अचानक हुई तबियत खराब
शनिवार की सुबह अचानक शकुंतला की तबीयत बिगड़ने लगी। घर वालों ने दवाएं दीं, लेकिन तबीयत बिगड़ती गयी। घरवाले एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ने लगे। घर वालों का कहना है कि पारस हॉस्पिटल के डॉ ऋषि किशोर की देख रेख में पहले शकुंतला का ईलाज चल रहा था। शनिवार को जब समस्या हुई तो घर वाले सबसे पहले पारस हॉस्पिटल गए, लेकिन इलाज नहीं हो पाया। 

छह घंटे में 12 हॉस्पिटल दौड़े परिजन
परिजन 20 किमी दूर बिहटा गए। जहां एक  नया हॉस्पिटल है। डॉक्टरों ने कहा कि  डायलिसिस की व्यवस्था नहीं है और उन्हें लौटा दिया। पारस अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं थी इसलिए लौटना पड़ा। इसके बाद शकुंतला के परिवारवाले ईएसआई हॉस्पिटल बिहटा, पारस हॉस्पिटल, IGIMS, AIIMS, गेटवेल हॉस्पिटल से लेकर राजा बाजार, राजीव नगर के कई अस्पताल तक दौड़ते रहें लेकिन कहीं इलाज नहीं हो पाया। कहीं बेड फुल तो थी तो कहीं व्यवस्था नहीं, डॉक्टर कुछ सुनने को तैयार ही नहीं हैं। ऐसे में शकुंतला की जान बचाना अब मुश्किल हो गया है।