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खगोलीय घटना : शुक्र से खत्म हो गया पानी, तो क्या पृथ्वी भी गवां देगा सारा जल...समझिए इस रिपोर्ट से 

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डेस्कः
शुक्र से खत्म हो गया पानी, तो क्या पृथ्वी भी गवां देगा सारा जल...समझिए इस रिपोर्ट से 
यह हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है की आखिर पृथ्वी की तरह ही मंगल और शुक्र पर भी जीवन के लिए अनुकूल हालात क्यों नहीं है। जबकी बता दें कि पहले के अध्ययनों की मानें तो तीनों ग्रहों के इतहास में कुछ ज्यादा अंतर था नहीं। लेकिन इसके बावजूद आज पृथ्वी पर जीवन है और बाकी दोनों ग्रहों पर नहीं। इसे जानने के लिए नासा ने एक नई योजना बनाई है। योजना के अनुसार एन्डयोरेंस नाम के एक अभियान को अगले हफ्ते प्रक्षेपित किया जाएगा और इसे पृथ्वी के इलेक्ट्रिक फील्ड का अध्ययन होगा ताकी पता चल सके के आखिर पृथ्वी पर जीवन के पनपने के अनुकूल हालात बनाने में सबसे प्रमुख कारण क्या है। 


पृथ्वी का विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों को कितना प्रभावित करता है
नासा के इस योजना का मकसद ये पता लगाना है कि पृथ्वी का विद्युत क्षेत्र हवा में मौजूद आवेशित कणों को आखिर कितना प्रभावित करता है। इससे ये पता चलेगा की पृथ्वी की विद्युतीय क्षमता कितनी है। नासा के मुताबिक यह विद्युतीय क्षमता बहुत कमजोर होनी चाहिए जिसके कारण इसे नापना बहुत मुशकिल हो जाता है। लेकिन विद्युतीय क्षमता पृथ्वी पर पानी बनाने  के लिए एक अहम कारण है। इस अभियान को लिड करने वाले नासा के वैज्ञानिक ग्लेन कॉलिनसन ने बताया की यह सभी विज्ञानों के कुछ बेहद जरूरी सवालों में से है की हम यहां क्यों है और एन्डयोरेंस उसी की पड़ताल करेगा। इस अभियान से ये पता चल सकेगा के आखिर मंगल और शुक्र पर जीवन के हालात इतने प्रतिकूल हो गए है। वैज्ञानिकों का ये काफी समय से कहना है की शुक्र और पृथ्वी जुड़वा ग्रह है। उनका कहना है की पहले शुक्र पर भी  काफी पानी था और इसके साथ ही वहां हर वो संसाधन मौजूद थे जिससे जीवन पनप सके। लेकिन समय के साथ यह सारे संसाधन खत्म हो गए। और सारा पानी गायब हो गया  जिसके कारण ग्रह बहुत ज्यादा गर्म हो गया।


शुक्र से पानी कैसे गायब हो गया
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने 2016 में वीनस एक्सप्रेस मिशन के दौरान शुक्र ग्रह के आस-पास कुछ बेहद ही अजीब बात देखी थी जो शायद इस बात की पुष्टि कर सकती है की आखिर शुक्र से पानी कैसे गायब हो गया। उनके अनुसार शुक्र ग्रह का 10 वोल्ट का विद्युत विभव था। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह विद्युत क्षेत्र एक वैक्यूम क्लीनर की तरह काम कर रहा था और ग्रह की सतह से धनात्मक आवेश के कणों को खींच रहा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विद्युत विभव साइफन की तरह पानी के घटनों को खींच सकता है जिसमें धनात्मक आवेशित ऑक्सीजन जो तीव्र सूर्य के प्रकाश के कारण हाइड्रोजन के परमाणुओं से अलग हो जाता है वह बाहर चला जाता है. हो सकता है कि समय के साथ इसी विद्युत विभव ने शुक्र के पानी को ही अंतरिक्ष में भेज दिया होगा। 


तो क्या पृथ्वी पर से भी खत्म हो जाएगा पानी
इसके बाद एक बड़ा सवाल आकर खड़ा हो गया है की क्या आने वाले समय में क्या पृथ्वी को भी इसका सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है की यह विद्युत क्षेत्र शुक्र के आयनमंडल में बना था और ऐसा ही आयनमंडल  पृथ्वी पर भी मौजूद है। तो अब एक बड़ा सवाल ये है की क्या ऐसा विद्युत विभव पृथ्वी पर भी है और अगर है तो पृथ्वी से अब तक पानी क्यों खत्म नहीं हुआ।