रांची
बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड के तत्कालीन बीडीओ अरुण उरांव को रिश्वत के आरोप में साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया है। लगातार इन में छपी विनीत आभा उपाध्याय की रिपोर्ट के अनुसार धनबाद एसीबी की विशेष अदालत ने यह फैसला सुनाया, जिससे अरुण उरांव को बड़ी राहत मिली। वर्तमान में वे लोहरदगा जिले में बीडीओ के पद पर कार्यरत हैं। अरुण उरांव की ओर से अधिवक्ता विद्युत् चौरसिया ने कोर्ट में पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान एसीबी की ओर से सात गवाह पेश किए गए, लेकिन कोई भी यह साबित नहीं कर सका कि अरुण उरांव ने रिश्वत ली थी। दिलचस्प बात यह रही कि बचाव पक्ष ने ट्रायल के दौरान एक भी गवाह पेश नहीं किया, फिर भी कोर्ट ने साक्ष्यों की कमी के कारण उन्हें बरी कर दिया।
कैसे हुई थी गिरफ्तारी?
साल 2017 में धनबाद एसीबी की टीम ने अरुण उरांव को 40 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। नावाडीह पंचायत निवासी संतोष कुमार ने उनके खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के मुताबिक, संतोष ने एरियर भुगतान करवाने के लिए बीडीओ को 40 हजार रुपये सौंपे थे, तभी पहले से तैयार एसीबी की टीम ने बीडीओ के आवास पर छापेमारी कर उन्हें रिश्वत की रकम के साथ पकड़ लिया था।
अब उठ रहे सवाल
इस फैसले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि जब ट्रैप केस में भी आरोपियों को सजा दिलाने में एसीबी नाकाम साबित हो रही है, तो भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगेगा? अदालत में पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण अरुण उरांव को बरी कर दिया गया, लेकिन यह मामला एसीबी की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करता है।