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इंटरनेट : बधाई हो! इंटरनेट बैन करने में लगातार चौथे साल हम सबसे आगे

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने के मामले में भारत `बेताज बादशाह’ बनता जा रहा है। यहां बीतते समय के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों में कटौती की जा रही है और ऐसा हम नहीं कह रहे बीबीसी की खबर के मुताबिक ऐसा दावा इसी महीने जारी हुए आंकड़े कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स ने जारी की सूची
इसी महीने फ्रांस के एक गैर सरकारी संगठन रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स ने 180 देशो की सूची जारी की जिसमें भारत 150 वें स्थान पर रहा। ये सूची 3 मई यानि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के दिन हर साल जारी की जाती है। जिसमे लगातार भारत छ्ठे वर्ष लुढ़कर 150 वे पायदान पर आ गया है।

आज इंटरनेट भी अभिव्यक्ति का बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है। भारत ने इंटरनेट को बंद करने में लगातार चौथे साल रिकॉर्ड बनाया है। साल 2021 में दुनियाभर में कुल 182 इंटरनेट प्रतिबंद दर्ज़ किए गए, जिसमें अकेले भारत की भागीदारी 106 है।  


 

सबसे ज़्यादा प्रतिबन्ध भारत में
इंटरनेट तकनीक मामलों के वैश्विक थिंक टैंक एक्सेस नाउ द्वारा जारी किए गए ताज़ा आकड़ो से यह मालूम चला है कि साल 2016 से दुनियाभर में हुए कुल 937 इंटरनेट प्रतिबंधो में 567 प्रतिबंध भारत में हुए। प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक  प्रतिबंध विरोध प्रदर्शनो को दबाने और ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए लगाए गए। लेकिन केंद्र का पक्ष है कि ऐसा देश में कानून व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया। मौजूद आकड़ो के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा मामले जम्मू कश्मीर में दर्ज़ किए गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र है। रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेट प्रतिबंध से आर्थिक नुकसान भी काफी ज़्यादा होते हैं। भारत के संसदीय समिती के रिपोर्ट के मुताबिक़ किसी सर्किल एरिया में एक घंटे प्रतिबंध लगाने से करीब ढाई करोड़ रुपये का नुकसान होता है। 

सुप्रीम कोर्ट: इंटरनेट मौलिक अधिकार
जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए इंटरनेट को मौलिक अधिकार बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि इंटरनेट से सूचना तक पहुंच भारतीय संविधान के तहत दिया गया है। वैसे भारत में इंटरनेट पर प्रतिबंध कब और क्यों होना चाहिए इस पर लम्बे समय से बहस छिड़ी है। ( साभार-बीबीसी)