द फॉलोअप डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा विधानसभा से पारित 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के निर्णय को असंवैधानिक और मनमाना करार दिया है। कोर्ट ने दो टूक कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिससे वे विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोक कर रख सकें। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि जब विधानसभा किसी विधेयक को फिर से पारित करती है और राज्यपाल के पास भेजती है, तो राज्यपाल के पास उसे मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता—बशर्ते उसमें कोई बड़ा संशोधन न किया गया हो। कहा कि राज्यपाल ने इस मामले में अपनी शक्तियों से परे जाकर काम किया।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल केवल तीन विकल्प चुन सकते हैं:
1. विधेयक को मंजूरी देना
2. उसे खारिज करना
3. राष्ट्रपति के पास भेजना
लेकिन इस प्रक्रिया में देरी करना या विधेयकों को लंबित रखना, संविधान की भावना के खिलाफ है।
इस फैसले को विशेषज्ञ निर्वाचित राज्य सरकारों की स्वायत्तता की दिशा में एक बड़ी जीत मान रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुरूप और संवैधानिक दायरे में रहकर ही कार्य करना चाहिए।