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धर्म : कोर्ट के आदेश पर चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर सर्वे का काम अब भी अधूरा 

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डेस्क :
वाराणसी में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर के सर्वे का काम आज रविवार को भी पूरा नहीं हो सका। अब यह सर्वे कल सोमवार को भी जारी रहेगा। सर्वे से जुड़े सभी पक्षों को कल 8 बजे सुबह उपस्थित रहने को कहा गया है। इससे पहले गुरूवार को कोर्ट ने आदेश में कहा था कि सर्वे के लिए नियुक्त किये गए कमिश्नर को बदला नहीं जायेगा। साथ ही दो और सर्वे कमिश्नर को उनके साथ जोड़ा गया और कोर्ट ने कहा कि सर्वे के दौरान वे मस्जिद के अंदर जाने और जरूरत पड़ने पर वीडियोग्राफी करने के लिए स्वतंत्र है। रविवार को हुए सर्वे के बाद जिलाधिकारी ने प्रेस नोट जारी करते हुए यह जानकारी दी कि कोर्ट कमीशन के निर्देशानुसार सर्वे के दौरान वीडियोग्राफर, फोटोग्राफर ,मज़दूर आदि जरूरी संसाधन मुहैया करवाई गई। सभी पक्षों ने शांतिपूर्ण तरीके से न्यायालय के आदेश का पालन किया। सोमवार को भी सर्वे का काम जारी रहेगा। सर्वे का काम वाराणसी के लोअर कोर्ट के आदेश पर हो रहा है।

 


कोर्ट के फैसले पर AIMIM प्रमुख ओवैसी ने की है टिप्पणी 
गुरूवार को वाराणसी के लोअर कोर्ट द्वारा सर्वे को जारी रखने के फैसले पर हैदराबाद के सांसद और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने फैसले को पूजा स्थल अधिनियम 1991 का "घोर उल्लंघन "करार दिया था। उन्होंने कहा कि हमने एक बाबरी मस्जिद खो दी है ,अब दूसरी मस्जिद गवाना नहीं चाहते। ओवैसी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुझाव देते हुए कहा था कि वैसे लोग जो धर्म स्थल की प्रकृति बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन लोगो पर सरकार को तुरंत प्राथमिकी दर्ज़ करनी चाहिए। 

क्या है पूजा स्थल अधिनियम 
वर्ष 1991 में अस्तित्व में आया यह अधिनियम साफ़ कहता है कि कोई भी पूजा स्थल 15 अगस्त 1947 के पहले से अस्तित्व में होने पर उसे किसी दूसरे धर्म  के पूजा स्थल के रूप में बदला नहीं जा सकता। जो व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे 1 से 3 साल तक की कैद हो सकती है और जुर्माना भी भरना होगा। हालांकि अयोध्या का मामला उस वक़्त कोर्ट में विचाराधीन था। ऐसे में उसे इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया था।

कानून के उल्लंघन का आरोप 
मुस्लिम पक्ष के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे करने का वाराणसी कोर्ट का फैसला कानून का उल्लंघन है। ये आदेश पूजा स्थल 1991 के आदेश का उल्लघन करता है जो 15  अगस्त 1947 से पहले के धार्मिक स्थलों की प्रकृति के  बदलाव पर रोक लगता है। 

श्रृंगार गौरी की पूजा करने वाली महिलाओ का क्या तर्क 
 5 महिलाओं की याचिका पर सर्वे के लिए दिए गए फैसले को सही ठहराते हुए महिलाओं का कहना है कि सर्वे जरूर होना चाहिए। सर्वे से सच्चाई बाहर आयेगी। 1990 तक ज्ञानवापी परिसर में माँ गौरी की पूजा होती रही है।1996-97  में CRPF बलों की तैनाती और समय गुजरने के साथ हमें वहां पूजा करने से रोक दिया गया जो हमारे अधिकारों का उल्लंघन है।