गर्मियां आते ही खाने से मन भर सा जाता है। प्यास की वजह से लोगों की डाइट भी कम हो जाती है, लेकिन गर्मी के दिन में खान-पान को लेकर की जाने वाली जरा सी लापरवाही से आपकी सेहत पर भारी नुकसान हो सकता है। धूप में घर से बाहर निकलने पर लू भी लग जाती हैं। ऐसे में
चांद हर बच्चे के लिए कभी प्यारा सा मामा है, तो कभी ऐसा घर जहां दादी अम्मा रहती हैं जो दूध-कटोरी लाएंगी। चांद को लेकर अगर कवियों ने कविताएं लिखी हैं, तो लेखकों ने कहानियां। लेकिन किसी बच्चे का ही घर चांद पर हो जाए तो उसकी खुशी का क्या कहना। यह कोई कहानी नह
प्राचीन समय ऋृषि-मुनी बच्चों को उंच्च शिक्षा देकर उन्हें ज्ञानवान भी बनाते थे। इसके अलावा सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया जाता था। लेकिन अब 21वीं सदी में शिक्षा के तकनीकीकरण पर जोर है। बदलते समय इसकी जरूरत भी है।
मोबाइल फोन पर आने वाली अंजान कॉल से आप भी परेशान होंगे। आजकल साइबर क्राइम करने वालों के गिरोह ही सक्रिय हैं, जो फोन पर पहले दोस्ती गांठते हैं। धीरे-धीरे अपनापन दिखलाते हैं। उसके बाद उनकी बातचीत अश्लीलता पर उतर आती है। कई मामले में पैसे तक ठग लिये जाते हैं
हालांकि डॉक्टरों की टीम ने बहुत ही चतुराई और परिश्रम के बल पर ऑपरेशन से ग्लास को बाहर निकाल दिया है। लेकिन यह रहस्य बरक़रार है कि मरीज के शरीर के भीतर कांच का पूरा ग्लास आखिर कैसे पहुंच गया। मामला मुजफ्फरपुर के माड़ीपुर स्थित एक प्रायवेट अस्पताल का है।
राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और केंद्रीय सरकार की एजेंसी सीएससी ई- गवर्नेंस सर्विसेज इण्डिया लिमिटेड - सीएससी एसपीवी के साथ एमओयू किया गया है।
निजीकरण के दौर में जहां बहुत कुछ बदल रहा है। आम नागरिकों की जीवन रेखा मानी जाती रेलगाड़ी भी कई जगह प्रायवेट हाथों में जाती दिखलाई दे रही है। लेकिन क्या उसकी पहचान भी बदल जाएगी। उसकी पहचान है, हर रेलवे स्टेशन पर पीले रंग में पुता साइन बोर्ड।
ग्रहण को लेकर देश-दुनिया में अलग-अलग तरह की मान्यताएं हैं। वैज्ञानिक अवधारणाएं भी अलग हैं। ग्रहण लगता क्यों है, क्या ग्रहण के दौरान किसी काम को करने से परहेज़ करना चाहिए। वैज्ञानिक क्या कहते हें।
ऐसा वैज्ञानिक जिसने भौतिकविदों और ब्रह्माण्डविदों का नजरिया बदलकर रख दिया। आम लोगों की भी ब्लैक होल और अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि को बढ़ा दिया। लेकिन न उसके हाथ हिलते थे, न पैर डुलते थे। सर भी हमेशा एक ओर लुढ़का रहता।
इलेक्ट्रिक बाइक्स बाजार में सामान्य हो गई है। साथ अब इलेक्ट्रिकल कार भी बाजार में देखने को मिलने लगी है। ऐसा देख कई कंपनियां भी अब इलेक्ट्रिकल कार और बाइक्स बनाने लगी। इस बीच रॉल्स-रॉयस ने सबको अचंभित कर दिया। रोल्स-रॉयस कंपनी ने बाइक्स या कार नहीं बल्कि
रांची-कोलकाता शताब्दी एक्सप्रेस की जगह प्रस्तावित ट्रेन वंदे भारत ट्रेन अप्रैल माह के बाद से चलनी शुरू हो जाएगी। इस ट्रेन की खासियत होगी कि इसमें झारखंड और बंगाल की संस्कृति को डेकोरेशन के जरिए दिखाया जाएगा। फिलहाल इसके इंटिरियर पर काम जारी है। ट्रेन में
अगर आप किसी कार के मालिक हैं या कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। कार होने पर आपको टोल टैक्स के लिए फास्टैग (FASTag) एक्टीवेट करा लेना चहीए। क्योंकि फास्टैग को पूरे देश में लागू करने के साथ ही सरकार अब भी इसका इस्तेमाल न करने वालों पर