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पाकिस्तान यात्रा-16: लाहौरी क़िला और महाराजा रंजीत सिंह की समाधि- न रख और न रखाव

यह किला महाराजा रंजीत सिंह के शासन में रहा जिनके द्वारा इसमें 'बारादरी राजा ध्यान सिंह' का निर्माण कराया गया।

समाजवादी-ललक-़12: लोहिया ने देश को कभी मां के फ्रेम में न देखकर अवाम के संकुल में देखा

'ठीक यही तो विवेकानन्द भी कहते थे कि देश का मतलब नदी, पहाड़, आसमान, वनस्पति और पशु पक्षी तक नहीं मुख्यतः मनुष्य हैं। 

पाकिस्तान यात्रा-15: अज़ान और अरदास की जुगलबंदी- गुरुद्वारे के पास ही है लाहौर में बादशाही मस्जिद 

यह एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद थी। परंतु 1986 में इस्लामाबाद में फैसल मस्जिद, (सऊदी अरब के शाह फैसल के नाम से बनवाई गई है) के बनने के बाद यह एशिया की दूसरी बड़ी मस्जिद हो गई है।

समाजवादी-ललक-़11: जब अपने पथ प्रदर्शक नेहरू और उनके चिंतन से लोहिया ने तोड़ लिया था पूरी तरह नाता

लोहिया के जीवनकाल में ही जनसाधारण और गरीब लोग उन्हें महात्मा गांधी के बाद अपना सबसे बड़ा मसीहा मानने लगे थे।

समाजवादी-ललक-़10: दक्षिणपंथ और वामपंथ -किसके निकट थे लोहिया

वामपंथ के शीर्ष नेता नम्बुदिरिपाद से लोहिया की एक मायने में पटरी नहीं बैठती थी।       इसलिए नहीं कि नम्बुुदिरिपाद में और किसी मुद्दे को लेकर उसे मतभेद था। वह चीन के भारत पर आक्रमण के मुद्दे को लेकर तो था ही।

सोचाे ज़रा:  इंदिरा गांधी के एजेंडे में नहीं था हिंदुत्व, बाक़ी उनके काल को समझिये

'आज से 45 साल पहले लोकतंत्र की हिमायत करने वालों की सबसे बड़ी शत्रु मानी जाती थी इंदिरा गांधी।

पाकिस्तान यात्रा-13: बस से जब पहुंचा लाहौर, टीवी स्क्रीन पर चल रही थी हिंदुस्तानी फिल्म

'हिंदी के वरिष्‍ठ लेखक असगर वजाहत की पाकिस्तान यात्रा आप 12 किस्त तक पढ़ च़ुके। अब इस सफ़र को आगे बढ़ा रहे हैं यूपी सरकार में वरिष्ठ अधिकारी रहे मंज़र ज़ैदी। भारत के वो ऐतिहासिक स्थल जो  अब पाकिस्तान में हैं।

समाजवादी-ललक-9: बहुत पहले लोहिया ने कह दिया था-‘दाम बांधो‘

'संसद में इस सिलसिले में लोहिया का मशहूर भाषण और उस पर सरकारी हस्तक्षेप इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है तीन आने बनाम पन्द्रह आने

ज़िंदगी भर उठाए सत्ता के ज़ुल्मो-सितम पर नहीं टेके घुटने, ऐसे क्रांतिकारी शायर थे फ़ैज़

फ़ैज़ उन बड़े कवियों में हैं जिनकी चेतना ने राष्ट्र और राष्ट्रवाद का सही अर्थों में अतिक्रमण किया था और समूचे भारतीय उपमहाद्वीप के मजदूरों-किसानों और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कविता लिखने से लेकर जमीनी स्तर तक की वास्तव लड़ाईयों का नेतृत्व किया था।

कृषि कानून: किसानों के अहिंसक आंदोलन को समझने की कितनी जरूरत

कुछ ही दिन पहले हमलोग इस बहस से होकर गुजर रहे थे कि 1947 को मिली आजादी असली आजादी नहीं थी, क्योंकि अंग्रेजों ने हमें ताकत के बल पर गुलाम बनाया था और जाते वक्त उन्होंने हमें भीख में आजादी दे दी गयी। यह सिर्फ अभिनेत्री कंगना राणावत का तर्क नहीं था, देश का ए

कृषि कानून: उलटा पड़ता दिख रहा है बिल वापसी का दांव-संदर्भ चुनाव

'जब किसानों से पूछा गया कि अब तो खुश हैं, वापस जाएंगे या नहीं, तो किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी पर अविश्वास जताते हुए कहा कि उनकी टीवी पर कही बातों पर हम यकीन नहीं करते।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ी ऐसी जानकारी जो कभी न सुनी, न पढ़ी होगी

रानी लक्ष्मीबाई शामियाने के एक कोने में एक पर्दे के पीछे बैठी हुई थीं। तभी अचानक रानी के दत्तक पुत्र दामोदर ने वो पर्दा हटा दिया।

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