लोक आस्था के महापर्व छठ का आज यानी 8 नवंबर को दूसरे दिन के अर्घ्य के साथ समापन हो गया।
चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ का आज यानी 7 नवंबर को तीसरा दिन है। इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है अर्थात् डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है।
आस्था का महापर्व छठ के लिए छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के अरपा नदी तट पर भारत के सबसे बड़े स्थायी छठ घाटों में से एक बनाया गया है।
लोक आस्था का 4 दिवसीय महापर्व चैती छठ का आज तीसरा दिन है। आज शाम को छठ व्रती डूबते हुऐ सूर्य की पूजा करेंगे और अर्घ्य देंगे, जबकि कल यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चैती छठ का समापन होगा। छठ पूजा को लेकर पटना नगर निगम ने श्रद्धालुओं के लि
छठ पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, ट्रेनों में भीड़ बढ़ती जा रही है। छठ पर्व के मौके पर झारखंड से दिल्ली और उत्तर प्रदेश आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है।
छठ शब्द षष्ठी का अपभ्रंश है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पष्ठी को मनाए जाने के कारण इसे छठ पर्व कहा गया। कुछ दंतकथाओं में सूर्यदेव और छठी मैया का संबंध भाई-बहन का है। बिहार में प्रचलित कथाओं में सूर्य और छठी मैया का संबंध मां-बेटे का है। सूर्य को शंकर और पार्वत
कल से लोक और आस्था का महापर्व छठ शुरू होने जा रहा है। इस पर्व के कई मायने और महत्व है। एक तरह से देखा जाए तो यह कामनाओं और मन्नतों का भी पर्व है। आमतौर पर महिलांए जहां पुत्र प्राप्ति के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती है, तो इस पर्व को वह बेटियों के
लोक आस्था का महापर्व छठ 8 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। बिहार और झारखंड के वैसे लोग जो दूसरे राज्यों में रहते हैं छठ पूजा पर घर आना चाहते हैं। झारखंड और बिहार से भी काफी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में छठ पर्व मनाने जाते हैं। छठ महापर्व के दौरान ट्रेनों
कल से छठ महापर्व शुरू होने जा रहा है। कद्दू-भात यानी नहाय खाय के साथ ही इसकी शुरूआत हो जाती है। दूसरे दिन 9 नवंबर को खरना होगा। 10 नवंबर को पहला व 11 नवंबर को दूसरा अर्घ्य होगा। छठ एक ऐसा पर्व है जिससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। कार्तिक मास के शुक्ल
नदी तालाबों में छठ घाटों पर अर्घ्य देने पर लगी रोक के आदेश को हेमंत सरकार ने अंतत वापस ले लिया है
छठ घाट पर अर्ध नहीं देने के निर्देश के बाद एक और जहां सड़कों पर नेताओं के प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भी विरोध अपने चरम पर है
शहर के नदी-तालाब के घाटों में छठ पूजा करने को लेकर छठव्रतियों में संशय बरकरार है