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गड्ढे में बाइक के फिसलने से हमेशा के लिए खो गई बिटिया, उसकी शादी होने वाली थी- इसके बाद....

7 साल से बेंगलुरू के प्रताप भीमसेन राव सड़क के गड्ढों को ठीक कर रहे हैं।

महापर्व छठ-2 : स्वरूप और वैशिष्ट्य- छठी मैया होहूँ  न सहाई...सुरुज देव को होहूँ न सहाई ...

भारतीय संस्कृति में सूर्योपासना की प्राचीन परंपरा रही है। छठ पर्व उसी परंपरा का विशिष्ट अनुपालन है।

महापर्व छठ-1 सूर्य के प्रति कृतज्ञता-ज्ञापन के साथ प्रकृति और कृषि के महत्व की प्राचीन परंपरा

सूर्य की उपासना का लोक-पर्व-लोक आस्था की मासूमियत का आख्यान

दिन रेख़्ता-़4: सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा लिखने वाले इक़बाल के बहाने

शायर, दार्शनिक और चिंतक इक़बाल पर कभी कट्टरता ने कुफ्र का फ़तवा दिया, तो कभी उन्हें देशद्रोही तक कहने से गुरेज़ न किया।

चिंतन: एक संवैधानिक सवाल- राज्यपाल बनाम मंत्रिपरिषद 

कोर्ट ने कहा पक्षपात या तरफदारी की संभावना देखते तथा लोकायुक्त की साजिश के संबंध में निष्कर्षों पर न्यायालय में विचारण होने देने के बदले मंत्रिपरिषद ने खुद ही नकार दिया।

भूले-बिसरे: जानिये इस असली गब्बर सिंह का आखिर कैसे हुआ था काम तमाम

पुलिस की चलती तो गब्बर को मारने वाला पुलिस में न होता 

दिन रेख़्ता-़3: वह इत्रदान-सी एक ज़बान- दिलों में नाज़ुकी और हवा में ख़ुशबू

विडंबना है कि आज हिंदी को हिंदुओं की और उर्दू को मुसलमानों की भाषा बताया जाने लगा है।

दिन रेख़्ता-़2: आख़िर हम भी उर्दू में पास कर गए ग़ालिब-विनीत कुमार

उर्दू की परीक्षा में पास( 62%) कर गया। ज़िंदगी में एक और ख़ूबसूरत चीज़ जुड़ गयी। एक हसरत रही जो पूरी हो गयी।

दिन रेख़्ता-़1: जब इश्क़ हुआ उर्दू  से और पहचान की गठरी उतारकर ज़बान की कक्षा में हो गए दाख़िल 

नहीं खेल ऐ 'दाग़' यारों से कह दो कि आती है उर्दू ज़बाँ आते आते। 

एड के बहाने 21वीं सदी का सबसे बड़ा सबक़ - बदलावों के लिए हमेशा तैयार रहें

'वर्ल्ड कप पर आने वाले एड में छुपी है दुनिया में बदलाव की आहट

कितना है बदनसीब 'ज़फ़र' दफ्न के लिए, दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में...

1857 में क्रांति की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उन्होंने भी अंग्रेजों को खदेड़ने का आह्वान किया।

सामयिक : छठ के बहाने पारंपरिक लोकगीतों में लड़कियों के स्वर कितने मुखर

छठ के गीतों में बेटी की कामना के स्वर परांपरागत तौर पर मिलते हैं। बिंष्यवासिनी देवी का तो लोकप्रिय छठ गीत ही था-रुनुकी झुनुकी के बेटी मांगीला।

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