दशहरा और गांव-देहात के मेले
गांधी क्लास को थर्ड क्लास का समानार्थी कहता हिकरत भरा एक अज्ञानी जुमला गांधी पर चस्पा कर दिया जाता है।
'यह स्त्री को पुरुष की वस्तु या संपति समझने की घृणित मानसिकता है।
गांधी का रचनात्मक कार्यक्रम देश के कोई काम नहीं आया। उनका ब्रह्मचर्य देश में बलात्कार से हार रहा है। उनकी अहिंसा नक्सलवाद और पुलिसिया बर्बरता से पिटकर भी जीवित रहना चाहती है।
उन्नीसवीं सदी में पत्रकार विज़िटिंग कार्ड का इस्तमाल करने लगे थे। पत्रकारों को ब्रिटिश हुकूमत के कार्यक्रमों और निजी पार्टियों में बुलाया जाने लगा था।
गांधी पाठशाला में गांधी से मुठभेड़
'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। मां की महिमा अनंत है।
दुनिया की लगभग सभी संस्कृतियों में विपत्ति की घड़ी में देवी -देवताओं के आगे नतमस्तक होकर उनकी स्तुतियां गाने, रोने-गिड़गिड़ाने और दया की भीख मांगने की परंपरा रही है।
इतिहास आज भी बुलंद खड़ा है जिसको आगे वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाना चाहिए।
'आदिवासी संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए रांची के ‘चाला अखरा खोड़हा’ नामक संस्था के द्वारा सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। पारंपरिक वाद्य यंत्र, शिल्प कला, वेश भूषा, हथियार और कई तरह की चीजों का निर्माण और उनके विक्रय को एक चैनल के माध्यम से संचालित किय
भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाई हिन्दू धर्म में उदारवाद और कट्टरता की लड़ाई , पिछले पांच हजार सालों से भी अधिक समय से चल रही है और उसका अन्त अभी भी दिखाई नहीं पड़ता ।