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देश की बिंदी-2: विश्व का तोरण द्वार है हिंदी-राष्ट्रभाषा बनाम राजभाषा

संविधान की अष्टम् अनुसूची में स्वीकृत सभी 22 भाषाएँ राष्ट्र भाषाएँ हैं और व्यापक अर्थ में भारतवर्ष में जितनी भाषाएँ बोली, समझी और लिखी  जाती हैं, वे सब राष्ट्रभाषा की गरिमा से युक्त हैं।

उग्र राष्ट्रवाद की प्रयोगशाला बने एक देश में स्‍त्री की त्रासद कथा

'बोस्निया हर्जे़गोबिना पर प्रोफ़ेसर गरिमा श्रीवास्तव की पुस्तक, 'देह ही देश'

देश की बिंदी-1: माँ और गाँव की तरह हिन्दी को लेकर होना भावुक

समाजवादी लेखक प्रेमकुमार मणि के मार्फत जानिये हिंदी के राजभाषा बनने की कहानी

विवेक का स्‍वामी-1:  विवेकानंद की दुनिया और हिन्दुत्व

महात्मा गांधी का आत्मस्वीकार है कि विवेकानन्द की किताबों को पढ़कर उनकी देशभक्ति में इज़ाफा हुआ।

साबरमती का संत-11: महात्‍मा गांधी और वामपंथ कितने पास, कितने दूर

 जितना भगतसिंह ईमानदार थे ठीक उतने ही गाँधी भी ईमानदार थे।

अपने ही वादे से पलटा तालिबान विश्व-जनमत की कर रहा अनदेखी

प्रधानमंत्री सहित कई ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें संयुक्तराष्ट्र संघ ने आतंकवादी घोषित कर रखा है।

सब के उदय के पक्षधर रहे सर्वोदय के नायक संत विनोबा भावे

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी कहे जाने वाले आचार्य विनोबा भावे मूलत: एक सामाजिक विचारक थे

पूरी दुनिया साफ करने के लिए मेहतर चाहिए- मुक्तिबोध

'गजानन माधव मुक्तिबोध की आज पुण्‍यतिथि है

भारत के पाश की स्पेनी कवि लोर्का से क्‍यों दी जाती है मिसाल 

मौजूदा समय पंजाब के कवि अवतार सिंह पाश का स्‍मरण बेहद जरूरी

इंस्‍टाग्राम पर एक शहर को लेकर क्‍यों न बिछ जाए हैशटैग की रेल

''ममता कालिया की किताब जीते जी इलाहाबाद के बहाने

साबरमती का संत-10: हे राम ! भक्तों को माफ करें, गांधीवादी भक्तों को भी

भक्ति चाहे किसी की भी हो यदि आंखें खोल कर न की जाए तो बुरी ही होती है।

देश की विभिन्न जातियों में आखिर क्‍यों बढ़ते जा रहे संदेह और संशय

गैरबराबरी का कम होना देश और देश की सभी जातियों के हित में होगा।

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