'करोड़ों भारतीय वासियों के संघर्ष का परिणाम था
सरकार को तकनीकी विशेषज्ञों को सक्रिय करके विस्तृत नियमावली तैयार करनी चाहिए
'पंजशीर में अफ़ग़ान पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष की हत्या
मुुश्किल हालात में जर्नलिजम करना हो, तो अफगानिस्तान चले जाइए।
'हिंदी के वरिष्ठ लेखक असगर वजाहत की पाकिस्तान यात्रा
'तालिबान और भारत : आशंका नहीं संकल्प लेकर फ्रंटफुट पर खेलने का समय!
'हिंदी के वरिष्ठ लेखक असगर वजाहत का सफ़रनामा 'पाकिस्तान
1970 का दशक अफगान म्यूज़िक इंडस्ट्री का स्वर्णकाल था।आज इनका दुनिया भर में डंका बज रहा है।
मशहूर लेखक असग़र वजाहत ने पाकिस्तान यात्रा पर केंद्रित यह संस्मरण 2011-12 के दौरान लिखा
'''इस्लामी रूह से बंदूक की ताक़त से हुकूमत बिल्कुल नाजायज़ है। क़ुरआन में हुकूमत के संबंध में हुक्म है, अमरहुम शूरा बैनहुम। यानी हुकूमत की बुनियाद अवाम की रज़ामंदी है।
आज़ादी के बाद जब भारतीय सिनेमा बंटवारे की त्रासदी से उभरने और सामाजिक वर्जनाओं को तोडऩे की कोशिश कर रहा था, फ़िल्म-मेकर रूप के.शौरी की फ़िल्म "एक थी लड़की" सिनेमाघरों में पहुंची और इसके एक गाने 'लारा लप्पा लारा लप्पा लाई रखदा' ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक धूम