प्रेमचंद ने नब्बे वर्ष पहले लिखा था; "हमें अख्तियार है, हम गऊ की पूजा करें, लेकिन हमें यह अख्तियार नहीं है कि हम दूसरों को गऊ-पूजा के लिए बाध्य कर सकें। हम ज्यादा से ज्यादा यही कर सकते हैं, कि गौमांस -भक्षियों की न्यायबुद्धि को स्पर्श करें। फिर मुसलमानों
''दोनों की सोच यही है कि राजनीति धर्मकेंद्रित हो, जिसे अंग्रेजी में थिओक्रेसी कहते हैं।
हिंदी के वरिष्ठ लेखक असगर वजाहत 2011 में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के जन्म शताब्दी समारोह में शिरकत करने पाकिस्तान गए थे।
'हो गयी है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
'रामकथा और विकास पर शोध प्रबंध लिखकर उन्हों ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से डी.फिल. की डिग्री ली थी।
''वरिष्ठ लेखक असग़र वजाहत- विभाजन पूर्व मुल्तान हिन्दुओं और जैनियों का प्रमुख केन्द्र था। मैंने जिज्ञासावश काज़मी साहब से मुल्तान के हिन्दुओं के बारे में जानकारी चाही।
मैं कक्षा 6 में फेल हो गया और एक खेत में पापा के साथ दिहाड़ी मजदूर बनने के लिए स्कूल छोड़ने का फैसला किया-पीसी मुस्तफ़ा
''आप एक ही दंगे में अपना वतन पाकिस्तान छोड़कर भाग आए और जो हज़ार दंगों के बाद भी अपना वतन, अपनी बोली-भाषा नहीं छोड़ना चाहते उन्हें आप समझाएँगे कि देशभक्ति क्या होती है।
'''हौसले और परिश्रम के बल पर सामाजिक बदलाव की कहानी
'एक बार अमृता ने इमरोज से पूछा था कि क्या तुमने woman with mind' paint की है..? उत्तर इमरोज के पास भी नहीं था
कुछ दिनों पहले कॉमेडियन नजर मोहम्मद की हत्या तालिबानियों ने कर दी थी।
खलीली अल रहमान हक्कानी वो शख्स है, जिसके सिर पर अमरीका ने 9 फरवरी 2011 को पचास लाख डॉलर का इनाम रखा था।