सावरकर दर्शन- गांधीवाद का विलोम
बिहार उपचुनाव में एक सीट पर कांग्रेस का खड़ा होना भाजपा का परोक्ष समर्थन
'आज अंतिम किस्त: ‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’ - आइंस्टीन
'पत्र में शिवाजी के माध्यम से अकबर के प्रति उनकी प्रजा की भावनाएं भी उजागर होती है।
क्योंकि अप्रासंगिक हो जाने' से बढ़कर कोई दुःख नहीं-बता रहे हैं मनोवैैैैैैज्ञानिक डॉ. अबरार मुल्तानी
'सावरकर की हिंसा और प्रतिशोध की विचारधारा को समझने के लिए उनकी पुस्तक भारतीय इतिहास के छह स्वर्णिम पृष्ठ का अध्ययन आवश्यक
दिक्कत धर्म में नहीं, धर्मों में बढ़ते कट्टरपंथ की वजह से है। उसके राजनीतिक इस्तेमाल की वजह से है।
भाषाएँ धर्म की पहचान नहीं करातीं। भाषाओं का संबंध संस्कृति से होता है।
''सावरकर के आधुनिक पाठ में उन्हें वैज्ञानिक, आधुनिक और तार्किक हिंदुत्व के प्रणेता तथा हिन्दू राष्ट्रवाद के जनक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
'गांधी पाठशाला में गांधी से मुठभेड़-किसान आन्दोलन और गांधी
जी हाँ वध स्थल था पहले, जहाँ संयुक्त राष्ट्र सचिवालय बनाया गया। अब यहाँ मानवता, समानता, विश्व कल्याण की बातें होती हैं।